NEETI Aayog Meeting : ऑपरेशन सिंदूर से लेकर विपक्षी मांगों तक – एक विस्तृत विश्लेषण
NEETI Aayog Meeting : भारत की राष्ट्रीय नीति निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मई 2025 को नई दिल्ली में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की 10वीं बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में केवल नीति निर्माण की चर्चा ही नहीं हुई, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर राज्यों की विशिष्ट आवश्यकताओं तक के मुद्दों पर व्यापक विमर्श देखने को मिला।
ऑपरेशन सिंदूर: राष्ट्रीय एकजुटता का प्रदर्शन
इस बैठक की सबसे उल्लेखनीय विशेषता यह रही कि सभी उपस्थित मुख्यमंत्रियों और उपराज्यपालों ने ऑपरेशन सिंदूर का सर्वसम्मति से समर्थन किया। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम के अनुसार, यह ऑपरेशन पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने के लिए भारत द्वारा किया गया एक सटीक और लक्षित कार्रवाई था।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस संदर्भ में एक दूरदर्शी दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को एक एकल पहल के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को इस मामले में दीर्घकालिक रणनीति अपनानी चाहिए। उन्होंने नागरिक तैयारी के आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि हाल की मॉक ड्रिल्स ने नागरिक सुरक्षा की तरफ हमारा ध्यान फिर से केंद्रित किया है और राज्यों को नागरिक सुरक्षा तैयारी को संस्थागत रूप देना चाहिए।
विकसित भारत का लक्ष्य और टीम इंडिया की भावना
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में स्पष्ट रूप से कहा कि विकसित भारत हर भारतीय का लक्ष्य है। उन्होंने इस महत्वपूर्ण संदेश के साथ राज्यों से आग्रह किया कि निवेश को प्रोत्साहित करने और रोजगार सृजन के लिए नीतिगत बाधाओं को दूर करना आवश्यक है। “हमें विकास की गति बढ़ानी होगी। यदि केंद्र और सभी राज्य मिलकर टीम इंडिया की तरह काम करें, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है,” मोदी ने कहा।
उन्होंने आगे जोड़ा, “जब हर राज्य विकसित होगा, तभी भारत विकसित होगा। यह 140 करोड़ नागरिकों की आकांक्षा है।” यह दृष्टिकोण सहकारी संघवाद की भावना को दर्शाता है, जहां केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर राष्ट्रीय विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम करती हैं।
पर्यटन क्षेत्र में नई पहल
प्रधानमंत्री ने राज्यों को एक रोचक सुझाव दिया कि वे अपने-अपने राज्य में कम से कम एक पर्यटन स्थल को वैश्विक मानकों के अनुरूप विकसित करें। इस सुझाव का उद्देश्य यह है कि भारत में पर्यटन के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं और बुनियादी ढांचा उपलब्ध हो सके। यह न केवल पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देगा बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।
उपस्थिति का विश्लेषण: कौन शामिल हुआ, कौन नहीं
इस बैठक में 36 में से 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने भाग लिया, जो नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की अब तक की सबसे अधिक उपस्थिति थी। हालांकि, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, बिहार और पुडुचेरी की सरकारों ने इस बैठक में भाग नहीं लिया। सीईओ सुब्रह्मण्यम ने स्पष्ट किया कि जो राज्य उपस्थित नहीं हो सके, उनकी पूर्व प्रतिबद्धताएं थीं और उन्होंने परिषद को इस बारे में अवगत कराया था।
विपक्षी मुख्यमंत्रियों की मांगें और सुझाव
बैठक में विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों ने अपने राज्यों की विशिष्ट आवश्यकताओं को लेकर कई महत्वपूर्ण मांगें रखीं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने हैदराबाद मेट्रो रेल फेज-II परियोजना के लिए 24,269 करोड़ रुपये की मंजूरी और हैदराबाद-बैंगलोर रक्षा विनिर्माण गलियारे की आधिकारिक मान्यता की मांग की।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पहाड़ी राज्यों की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखने और राज्य के लंबित फंड जारी करने की मांग की। उन्होंने कहा, “यदि केंद्र द्वारा लंबे समय से बकाया राशि समय पर जारी की जाती, तो हिमाचल प्रदेश खुद ही आत्मनिर्भर बन जाएगा।”
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोल बेयरिंग एरिया (अधिग्रहण और विकास) अधिनियम में एक प्रावधान की मांग की, जिसके तहत खनन गतिविधियों के बाद कंपनियों को जमीन राज्य सरकार को वापस करनी होगी। उन्होंने खनन कंपनियों की तरफ से बकाया 1.40 लाख करोड़ रुपये जारी करने की भी मांग की।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने समग्र शिक्षा अभियान के तहत राज्य के लिए बकाया 2,200 करोड़ रुपये जारी करने की मांग की। उन्होंने केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत तक बढ़ाने और राज्य में एक समर्पित शहरी परिवर्तन मिशन की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
भविष्य की दिशा
यह नीति आयोग की बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण रही। एक तरफ जहां राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सर्वदलीय एकजुटता दिखी, वहीं दूसरी तरफ विकास की चुनौतियों और राज्यों की विशिष्ट आवश्यकताओं पर खुली चर्चा हुई। यह बैठक भारतीय संघीय व्यवस्था की परिपक्वता को दर्शाती है, जहां राष्ट्रीय हितों पर एकजुटता के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों पर खुली बहस भी होती है।
प्रधानमंत्री मोदी का ‘टीम इंडिया’ का संदेश और विकसित भारत के लक्ष्य की दिशा में सामूहिक प्रयास का आह्वान भविष्य की नीति निर्माण की दिशा निर्धारित करता है। यह स्पष्ट है कि केवल केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से ही भारत अपने विकास के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।