29 मई: नागरिक सुरक्षा अभ्यास ( Mock Drill ) की तैयारी
चौतरफा तनाव के बीच भारत सरकार ने 29 मई को पाकिस्तान से सटे गुजरात, राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर राज्यों में विशेष नागरिक सुरक्षा Mock Drill (आभासी अभ्यास) कराने की घोषणा की है और यह अभ्यास शाम 5 बजे से शुरू होगा । इससे पहले 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 आम नागरिक शहीद हुए थे। इस हमले के तुरंत बाद भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत प्रतिक्रिया दी, जिसमें तीनों सेनाओं ने मिलकर पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकवादी अड्डों को निशाना बनाकर 25 मिनट में 24 मिसाइल दागीं। इन हमलों का मकसद हमला करने वाले आतंकियों को कूटनीतिक और सैन्य रूप से जवाब देना था। उस समय एक राष्ट्रीय समझौते के तहत संघर्ष विराम भी हुआ था, लेकिन तब से स्थिति संवेदनशील बनी हुई है। इन परिप्रेक्ष्य में 29 मई के अभ्यासों से पहले 7 मई को ऑपरेशन अभ्यास (Operation Abhyaas) नाम से देशभर में व्यापक नागरिक सुरक्षा ड्रिल करवाई गई थी, जिससे आम लोगों की युद्ध जैसी स्थिति में सुरक्षा तैयारियों को आजमाया जा सके।
ऑपरेशन अभ्यास और देशव्यापी नागरिक सुरक्षा ड्रिल ( Mock Drill )
ऑपरेशन अभ्यास के तहत 7 मई 2025 को गृह मंत्रालय ने 244 जिलों में एक साथ नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल आयोजित करने का आदेश जारी किया था। इस अभ्यास में शहर-गांव में एयर-रेड सायरन बजाए गए, हड़तालों और आतंकवाद के खतरों जैसी परिस्थिति का सिमुलेशन किया गया, बिजली–पानी जैसे बुनियादी संसाधनों के ब्लैकआउट और आपातकालीन निकासी प्रोटोकॉल पर भी काम हुआ। हर जगह पुलिस, दमकल और स्वास्थ्य विभाग के साथ साथ एनसीसी एवं स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया। इस में 55 स्थानों पर चलाए गए अभ्यासों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने, घायलों को ठेली पर लाने जैसे दृश्य भी देखे गए। इन सभी तैयारियों का उद्देश्य आम नागरिकों को युद्ध की आशंका वाली आपात स्थितियों के लिए सिखाना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना था। जैसा कि विशेषज्ञों ने बताया, ये ड्रिल सबसे बड़े पैमाने पर हो रही तैयारी थी (1971 के बाद की सबसे बड़ी) ताकि भय की जगह सतर्कता आए।
29 मई को विशेष मॉक ड्रिल्स का आयोजन
पाकिस्तान सीमा से सटे चारों राज्यों में 29 मई शाम को फिर से नागरिक सुरक्षा अभ्यास होंगे। गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार गुजरात, राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में मंगलवार शाम 5 बजे से ऐसा युद्धाभ्यास चलेगा, जिसमें ध्वनि सायरन, संचार लाइन की जाँच, और संभावित खतरे का सिमुलेशन शामिल है। यह अभ्यास “ऑपरेशन सिंदूर” के कुछ हफ्तों बाद हो रहा है, जिसे भारत ने साझा विराम समझौते से ठीक पहले अंजाम दिया था। इन अभ्यासों के दौरान हवाई हमले और ड्रोन हमलों का सिमुलेशन होगा, सायरन बजेंगे और बिजली तथा पानी की काल्पनिक कटौती का अभ्यास किया जाएगा। इसका मकसद नागरिकों में जागरूकता बढ़ाना और परखना है कि युद्ध जैसी घड़ी में प्रशासन कितनी तत्परता से काम कर सकता है।
सरहद के राज्यों में इन अभ्यासों के तहत स्थानीय निवासियों को भी सशक्त भागीदार बनाया जाएगा। हरियाणा समेत अन्य राज्यों में भी समानांतर शिविर चलाए गए हैं। उदाहरण स्वरूप हरियाणा सरकार ने अपना अलग कार्यक्रम “ऑपरेशन शील्ड” रखा है। इस statewide ड्रिल में भी 29 मई की शाम 5 बजे से नौ बजे तक राज्य भर के महकमे और सुरक्षा बल युद्ध जैसे हालात में अपने प्रबंधन की परीक्षा लेंगे
हरियाणा का ऑपरेशन शील्ड
हरियाणा में “ऑपरेशन शील्ड” नामक अभ्यास का लक्ष्य ऐसे संकट के समय में तंत्र की मजबूती जांचना है। यह ड्रिल गृह मंत्रालय के निर्देश पर शाम 5 बजे शुरू होकर रात तक चलेगी और इसमें हवाई हमले, ड्रोन हमलों और अन्य युद्ध-सी परिस्थितियों की नकल की जाएगी। अतिरिक्त मुख्य सचिव सुनीता मिश्रा के अनुसार, इस अभ्यास का मकसद आपातकालीन तंत्र की मजबूतियों और कमियों का पता लगाना तथा प्रशासन, सुरक्षा बलों और स्थानीय समुदाय के बीच तालमेल बढ़ाना है। इसमें एनसीसी, युवा स्वयंसेवकों, एनएसएस और स्काउट जैसी विभिन्न राज्य व केंद्रीय संस्थाओं की भागीदारी रहेगी। जरूरी क्षेत्रों के पास 15 मिनट का नियंत्रित ब्लैकआउट भी रखा गया है (राहत सुविधाओं को छोड़कर) ताकि बिजली जाने की स्थिति का अनुभव हो सके। हालांकि अधिकारियों ने साफ किया है कि यह अभ्यास नागरिकों के लिए खतरे का संकेत नहीं है, बल्कि सीखने और तैयार रहने का अवसर है।
मॉक ड्रिल्स का उद्देश्य
इन ड्रिल्स का मूल उद्देश्य युद्ध जैसी परिस्थितियों में नागरिकों और तंत्र की तैयारियों को परखना और सुधारना है। गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि पिछले अभ्यासों में 244 जिलों में आयोजित ड्रिल्स में ब्लैकआउट, सायरन, निकासी प्रक्रियाओं और जागरूकता सत्रों से नागरिकों को युद्ध से मिलते-जुलते आपातकाल के लिए तैयार किया गया। इसी क्रम में 29 मई को होने वाली ड्रिल्स का भी मकसद नागरिकों को सुरक्षित रहने और शासन-प्रशासन के कदमों का अभ्यास जानना है। इससे समाज में एकजुटता और आपात स्थिति में अनुशासन की भावना भी विकसित होती है।
भले ही अभ्यास के दृश्य थोड़े खौफनाक लगें (खतरनाक हमलों की नकल होनी है), जनता को घबराने की जरूरत नहीं है। ये अभ्यास ठीक उसी तरह से होते हैं जैसे एयरपोर्ट या स्कूलों में अग्निशमन ड्रिल होती है – तैयारी से ही जान बचती है। नागरिकों को चाहिए कि वे इन संकेतों को गंभीरता से लें, अनियोजित अफवाहों से बचें और अधिकारियों के निर्देश मानकर सहयोग करें। हरियाणा की और अन्य राज्यों की प्रशासन की कोशिश है कि कोई भ्रम या डर न फैले, बल्कि हर नागरिक को एहसास हो कि इन अभ्यासों का उद्देश्य उसकी सुरक्षा है।
आज देश की सीमाओं पर चुनौतियाँ बढ़ी हैं, इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी है कि देश और परिवार की सुरक्षा में अपना योगदान दें। यदि ये अभ्यास सुरक्षा के संदेश को जनता तक पहुंचाने और प्रतिक्रिया तंत्रों को मजबूत करने में कामयाब रहे, तो हम आने वाले संकटों का सामना बेहतर तरीके से कर सकेंगे। हमारी सुरक्षा भी हमारी जागरूकता और एकता में है यही इन नागरिक सुरक्षा Mock Drills का असली संदेश है
Sources: ANI, PTI, NDTV, Hindustan Times, Indian Express