Ankita Bhandari Murder Case : 3 को उम्र कैद जिसमे – बीजेपी के पूर्व- नेता का बीटा भी शामिल
Ankita Bhandari हत्याकांड:
उत्तराखंड के चर्चित Ankita Bhandari हत्याकांड ने पूरे देश का ध्यान खींचा था। 19 साल की अंकिता भंडारी, जो ऋषिकेश के वनातरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थीं, की 2022 में हत्या कर दी गई थी। इस मामले में कोटद्वार की जिला अदालत ने 30 मई 2025 को अपना फैसला सुनाया, जिसमें तीनों आरोपियों – पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर, और अंकित गुप्ता – को उम्रकैद की सजा दी गई। यह मामला न केवल एक युवती की दुखद हत्या की कहानी है, बल्कि यह महिलाओं की सुरक्षा और शक्तिशाली लोगों द्वारा कानून के दुरुपयोग जैसे गंभीर मुद्दों को भी उजागर करता है।
मामला क्या था?
अंकिता भंडारी उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के डोभ-श्रीकोट गांव की रहने वाली थीं। 2003 में जन्मी अंकिता ने 2021 में देहरादून के श्री राम इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट में सर्टिफिकेट कोर्स में दाखिला लिया था। लेकिन उनके पिता की नौकरी छूटने के कारण आर्थिक तंगी हुई, और उन्हें कोर्स बीच में ही छोड़ना पड़ा। इसके बाद, उन्होंने 28 अगस्त 2022 को ऋषिकेश के वनातरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी शुरू की, जहां उन्हें 10,000 रुपये मासिक वेतन का वादा किया गया था ।
18 सितंबर 2022 को अंकिता की हत्या कर दी गई। आरोप है कि रिसॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, जो पूर्व बीजेपी नेता विनोद आर्य के बेटे हैं, और उनके सहयोगी सौरभ भास्कर (रिसॉर्ट मैनेजर) और अंकित गुप्ता (सहायक मैनेजर) ने अंकिता पर मेहमानों को यौन सेवाएं प्रदान करने के लिए दबाव डाला। अंकिता ने इसका विरोध किया, जिसके बाद एक विवाद हुआ और उसे चीला नहर में धक्का दे दिया गया। 24 सितंबर को उनका शव नहर से बरामद हुआ ।
पुलिस जांच में आरोपियों ने हत्या की बात कबूल की। अंकिता के परिवार और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि हत्या से पहले उसका बलात्कार किया गया, लेकिन फोरेंसिक रिपोर्ट में बलात्कार के सबूत नहीं मिले ।
कोर्ट का फैसला
30 मई 2025 को, कोटद्वार की जिला अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया। अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश रीना नेगी की अध्यक्षता में हुई सुनवाई लगभग दो साल तक चली। इस दौरान 47 गवाहों ने गवाही दी। दिसंबर 2022 में पुलिस ने 500 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें 100 गवाहों के बयान और 30 से अधिक दस्तावेजी सबूत शामिल थे ।
अदालत ने तीनों आरोपियों – पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर, और अंकित गुप्ता – को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत मिटाना), 354ए (यौन उत्पीड़न), अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, और गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी पाया। सभी को उम्रकैद की सजा और प्रत्येक पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया ।
आरोपी | सजा | जुर्माना (रुपये) | आरोप |
---|---|---|---|
पुलकित आर्य | उम्रकैद | 50,000 | धारा 302, 201, 354ए, अनैतिक व्यापार अधिनियम, गैंगस्टर एक्ट |
सौरभ भास्कर | उम्रकैद | 50,000 | धारा 302, 201, 354ए, अनैतिक व्यापार अधिनियम, गैंगस्टर एक्ट |
अंकित गुप्ता | उम्रकैद | 50,000 | धारा 302, 201, 354ए, अनैतिक व्यापार अधिनियम, गैंगस्टर एक्ट |
परिवार की प्रतिक्रिया
अंकिता के परिवार ने कोर्ट के फैसले पर असंतोष जताया और आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग की। अंकिता की मां सोनी देवी ने कहा, “मेरी बेटी के हत्यारों को फांसी होनी चाहिए।” उनके पिता वीरेंद्र भंडारी ने भी “मौत के बदले मौत” की मांग दोहराई ।
सरकार की प्रतिक्रिया
उत्तराखंड सरकार ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई का दावा किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उनकी सरकार ने शुरू से ही इस मामले में संवेदनशीलता और दृढ़ता दिखाई। सरकार ने अंकिता के परिवार को 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की और उनके पिता और भाई को सरकारी नौकरी दी । हालांकि, परिवार का कहना है कि यह सहायता पर्याप्त नहीं है और न्याय अभी अधूरा है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचाई, क्योंकि मुख्य आरोपी पुलकित आर्य के पिता विनोद आर्य बीजेपी के वरिष्ठ नेता थे। घटना के बाद बीजेपी ने विनोद आर्य को पार्टी से निष्कासित कर दिया ।
इस मामले ने उत्तराखंड और पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू किए। 2022 में अंकिता की हत्या के बाद जनता ने सड़कों पर उतरकर न्याय की मांग की थी। सोशल मीडिया पर भी इस मामले ने महिलाओं की सुरक्षा और राजनीतिक भ्रष्टाचार पर बहस छेड़ दी । फैसले के बाद भी जनता की नजर इस मामले पर बनी हुई है, और कई लोग परिवार की फांसी की मांग का समर्थन कर रहे हैं।
अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोटद्वार कोर्ट के फैसले से कुछ हद तक न्याय मिला है, लेकिन अंकिता का परिवार और कई लोग इसे पर्याप्त नहीं मानते। यह मामला समाज में महिलाओं की सुरक्षा, शक्तिशाली लोगों द्वारा कानून के दुरुपयोग, और जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता जैसे गंभीर मुद्दों को उजागर करता है। उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और न्याय प्रणाली और अधिक मजबूत हो।
Sources: The Hindu , Indianexpress , News18