J&K-LG Manoj Sinha ने आतंकी संबंधों के लिए तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया
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J&K-LG Manoj Sinha ने आतंकी संबंधों के लिए तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया

J&K में LG Manoj Sinha का आतंकवाद के खिलाफ युद्ध

J&K में आतंकवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, LG Manoj Sinha ने तीन सरकारी कर्मचारियों को आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) से कथित संबंधों के कारण बर्खास्त कर दिया है। यह कार्रवाई प्रशासन की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि सरकारी तंत्र में ऐसे तत्वों को कोई स्थान नहीं है जो आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे सकते हैं। यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक सख्त संदेश देता है, लेकिन साथ ही यह उचित प्रक्रिया और पारदर्शिता के सवाल भी उठाता है।

घटना का विवरण

बर्खास्त किए गए तीन कर्मचारियों की पहचान और उनके खिलाफ लगे आरोप इस प्रकार हैं:

नाम

पद

आरोप

मलिक इशफाक नसीर

जम्मू-कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल, 2007 से

लश्कर-ए-तैयबा को हथियार और विस्फोटक तस्करी में मदद, जीपीएस-निर्देशित ड्रॉपिंग, 2021 में जांच में सामने आया।

अजाज अहमद

स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक, 2011 से

नवंबर 2023 में हथियारों और हिजबुल मुजाहिदीन के पोस्टरों के साथ पकड़ा गया, पीओजेके से निर्देश पर हथियार परिवहन।

वसीम अहमद खान

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में जूनियर असिस्टेंट, 2007 से

एलईटी और एचएम को लॉजिस्टिक समर्थन, 2018 में शुजात बुखारी की हत्या और बटमालू हमले में शामिल।

तीनों कर्मचारी वर्तमान में जेल में हैं। उनकी बर्खास्तगी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत की गई, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा होने पर बिना औपचारिक जांच के कार्रवाई की अनुमति देता है।

संदर्भ

जम्मू-कश्मीर लंबे समय से आतंकवाद का केंद्र रहा है, जहां लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठन सक्रिय हैं। ये संगठन अक्सर सीमा पार से समर्थन प्राप्त करते हैं और स्थानीय स्तर पर ओवरग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) के माध्यम से अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अगस्त 2020 में पदभार संभालने के बाद से आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति अपनाई है। अब तक, 75 से अधिक सरकारी कर्मचारियों को आतंकी संबंधों के लिए बर्खास्त किया गया है। यह कार्रवाई आतंकी नेटवर्क को कमजोर करने और सरकारी तंत्र को स्वच्छ रखने के व्यापक अभियान का हिस्सा है।

लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी): पाकिस्तान आधारित यह संगठन भारत में कई बड़े हमलों के लिए जिम्मेदार है, जिसमें 2008 का मुंबई हमला शामिल है। यह संगठन आतंकी गतिविधियों के लिए हथियार तस्करी और भर्ती पर निर्भर करता है।

हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम): यह कश्मीरी अलगाववादी समूह भारतीय सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह में शामिल रहा है। यह स्थानीय स्तर पर समर्थन जुटाने और हमलों को अंजाम देने के लिए जाना जाता है।

आधिकारिक बयान और जनता की प्रतिक्रियाएँ

एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने India TV News को बताया कि ऐसी कार्रवाइयों ने “संभावित आतंकी सहयोगियों में डर पैदा किया है” और आंतरिक तोड़फोड़ के जोखिम को कम किया है। प्रशासन का कहना है कि यह कदम सरकारी संस्थानों को आतंकी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए आवश्यक है।

हालांकि, जनता की प्रतिक्रियाएँ मिली-जुली हैं। ANI on X पर कुछ उपयोगकर्ताओं ने इस कार्रवाई का समर्थन किया, इसे आतंकवाद के खिलाफ जरूरी कदम बताया। दूसरी ओर, कुछ ने उचित प्रक्रिया और पारदर्शिता की कमी पर चिंता जताई, यह सवाल उठाते हुए कि क्या ऐसी कार्रवाइयों में सत्ता का दुरुपयोग हो सकता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्व

सरकारी कर्मचारियों में आतंकी संबंधों का पता लगाना और उनकी बर्खास्तगी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे कर्मचारी संवेदनशील जानकारी तक पहुंच रखते हैं, जो आतंकवादियों के लिए उपयोगी हो सकती है। इस तरह की कार्रवाइयाँ आतंकी नेटवर्क को कमजोर करने और सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता बनाए रखने में मदद करती हैं।

कानूनी ढांचा

अनुच्छेद 311(2)(c) सरकार को यह अधिकार देता है कि वह किसी कर्मचारी को बिना औपचारिक जांच के बर्खास्त कर सके, यदि उसकी गतिविधियाँ राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। यह प्रावधान संवेदनशील क्षेत्रों जैसे जम्मू-कश्मीर में त्वरित कार्रवाई के लिए महत्वपूर्ण है।

यह बर्खास्तगी जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से निपटने की जटिल चुनौतियों को उजागर करती है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का यह कदम आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति को दर्शाता है, लेकिन यह उचित प्रक्रिया और पारदर्शिता के सवाल भी उठाता है। जैसे-जैसे जम्मू-कश्मीर शांति और स्थिरता की ओर बढ़ रहा है, ऐसी कार्रवाइयाँ सरकारी सेवाओं को आतंकी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए आवश्यक हैं।


Sources : ANI , X.com , IndiaTV

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