Mega-Tsunami Horror
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Mega-Tsunami Horror : 9 दिनों तक गूंजी धरती की सिहरन!

Mega-Tsunami Horror – 650 फ़ीट  सुनामी

कल्पना कीजिए एक ऐसी लहर जो 650 फीट ऊंची हो, जो ग्रीनलैंड के दूरस्थ डिक्सन फ़ियोर्ड में एक भूस्खलन के कारण उत्पन्न हुई हो। यह सुनामी केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं थी, बल्कि इसने पूरी पृथ्वी को 9 दिनों तक हिलाकर रख दिया। सितंबर 2023 में हुई इस घटना ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया, क्योंकि इसने वैश्विक स्तर पर सीस्मिक सिग्नल उत्पन्न किए, जो अलास्का से ऑस्ट्रेलिया तक दर्ज किए गए। यह ब्लॉग इस असाधारण घटना के कारणों, प्रभावों और वैज्ञानिक निहितार्थों पर प्रकाश डालता है।

घटना का विवरण

  • तारीख और स्थान: यह घटना 16 सितंबर 2023 को ग्रीनलैंड के डिक्सन फ़ियोर्ड में हुई।

  • ट्रिगर: एक विशाल भूस्खलन, जिसमें लगभग 25 मिलियन क्यूबिक मीटर चट्टान और बर्फ (लगभग 10,000 ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूलों के बराबर) 160 किमी/घंटा से अधिक की गति से फ़ियोर्ड में गिरा।

  • सुनामी की ऊंचाई: प्रारंभिक लहर 200 मीटर (656 फीट) से अधिक ऊंची थी, जो न्यूयॉर्क के एम्पायर स्टेट बिल्डिंग की आधी ऊंचाई के बराबर है।

  • सीस्मिक गतिविधि की अवधि: सुनामी की लहरें फ़ियोर्ड की संकीर्ण दीवारों के बीच 9 दिनों तक झूलती रहीं, जिसे वैज्ञानिक “सेइच” कहते हैं। इस दौरान हर 90 सेकंड में सीस्मिक तरंगें उत्पन्न हुईं।

विवरण

जानकारी

घटना की तारीख

16 सितंबर 2023

स्थान

डिक्सन फ़ियोर्ड, ग्रीनलैंड

सुनामी की ऊंचाई

650 फीट (200 मीटर)

भूस्खलन की मात्रा

25 मिलियन क्यूबिक मीटर (33 मिलियन क्यूबिक यार्ड)

फ़ियोर्ड की गहराई

1,772 फीट (540 मीटर)

फ़ियोर्ड की चौड़ाई

1.7 मील (2.7 किलोमीटर)

सीस्मिक सिग्नल अंतराल

हर 90 सेकंड

नुकसान

$200,000 का नुकसान अनुसंधान स्टेशन को, पुरातात्विक स्थलों का विनाश

कारण

जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर पिघलना

वैज्ञानिक स्पष्टीकरण

भूस्खलन का कारण

वैज्ञानिकों ने पाया कि यह भूस्खलन जलवायु परिवर्तन के कारण हुआ। बढ़ते तापमान ने ग्लेशियर को पिघला दिया, जिससे पहाड़ का आधार अस्थिर हो गया। डेनमार्क और ग्रीनलैंड के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GEUS) के प्रमुख शोधकर्ता क्रिस्टियन स्वेनेविग ने बताया कि यह घटना जलवायु परिवर्तन के भूगर्भीय प्रभावों का एक स्पष्ट उदाहरण है।

सुनामी का पता लगाना

इस सुनामी ने सामान्य भूकंपों से भिन्न एकरूपी सीस्मिक सिग्नल उत्पन्न किया, जो हर 90 सेकंड में दोहराया गया। ये सिग्नल इतने अनोखे थे कि शुरुआत में वैज्ञानिकों को लगा कि उनके उपकरण खराब हो गए हैं। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के सीस्मोलॉजिस्ट स्टीफन हिक्स ने CBS न्यूज को बताया, “यह सिग्नल भूकंप जैसा नहीं था, बल्कि एक नीरस गूंज की तरह था।”

सैटेलाइट प्रौद्योगिकी

नासा और फ्रांस के CNES द्वारा संचालित SWOT सैटेलाइट ने इस सुनामी की आकृति को कैप्चर किया। सैटेलाइट डेटा ने दिखाया कि फ़ियोर्ड के उत्तरी हिस्से में पानी का स्तर दक्षिणी हिस्से की तुलना में 4 फीट अधिक था। नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के समुद्र स्तर शोधकर्ता जोश विलिस ने earth.com पर कहा, “SWOT ने पहली बार किसी सुनामी की आकृति को इतने विस्तार से देखने का अवसर प्रदान किया।”

प्रभाव

  • बुनियादी ढांचे पर नुकसान: 70 किलोमीटर दूर एला द्वीप पर एक अनाध्यात अनुसंधान स्टेशन को लगभग $200,000 का नुकसान हुआ।

  • पुरातात्विक स्थलों का विनाश: कई ऐतिहासिक स्थल नष्ट हो गए, जो सांस्कृतिक विरासत के लिए एक बड़ा नुकसान है।

  • संभावित जोखिम: यह क्षेत्र क्रूज जहाजों के मार्ग के पास है। यदि कोई जहाज उस समय वहां होता, तो यह एक बड़ी त्रासदी का कारण बन सकता था। डेली मेल के अनुसार, यह घटना सौभाग्य से बिना मानवीय हानि के समाप्त हुई।

वैज्ञानिक प्रतिक्रिया और भविष्य के निहितार्थ

वैज्ञानिकों ने इस घटना का अध्ययन करने के लिए सैटेलाइट इमेजरी और सीस्मिक डेटा का उपयोग किया। यह अध्ययन पत्रिका साइंस में प्रकाशित हुआ (साइंस जर्नल)। शोधकर्ताओं ने आर्कटिक क्षेत्रों में ऐसी घटनाओं की निगरानी के लिए बेहतर प्रणालियों की आवश्यकता पर जोर दिया। डिक्सन फ़ियोर्ड की संकीर्ण संरचना, जिसकी गहराई 1,772 फीट और चौड़ाई 1.7 मील है, ने सुनामी की ऊर्जा को लंबे समय तक बनाए रखा।

जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियरों का पिघलना और भूस्खलन की बढ़ती घटनाएं भविष्य में ऐसी आपदाओं को और आम कर सकती हैं। बीबीसी न्यूज के अनुसार, वैज्ञानिकों का कहना है कि यह घटना “आर्कटिक में अज्ञात क्षेत्रों” में प्रवेश का संकेत देती है।

यह मेगा-सुनामी जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों की एक चेतावनी है। यह न केवल मौसम को प्रभावित करता है, बल्कि पृथ्वी की भौतिक संरचना को भी बदल सकता है। यह घटना हमें वैज्ञानिक अनुसंधान का समर्थन करने और जलवायु परिवर्तन के खतरों के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। आइए, हम इस ग्रह को बचाने के लिए मिलकर काम करें।


Sources: Earth.com , CBSnews

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