Mumbai Train Accident
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Mumbai Train Accident : अत्यधिक भीड़ ने छीनी जाने, रेलवे ने उठाए कदम

Mumbai Train Accident : मुंबई, जिसे भारत की आर्थिक राजधानी और सपनों का शहर कहा जाता है, अपनी लोकल ट्रेनों के लिए भी जाना जाता है। ये ट्रेनें शहर की धड़कन हैं, जो रोजाना 7.5 मिलियन यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाती हैं। लेकिन यही ट्रेनें कभी-कभी त्रासदी का कारण बन जाती हैं। 9 जून, 2025 को एक ऐसी ही दुखद घटना घटी, जब मुंब्रा और डिवा स्टेशन के बीच एक लोकल ट्रेन में अत्यधिक भीड़ के कारण चार यात्री फुटबोर्ड से गिरकर मारे गए। इस हादसे ने एक बार फिर मुंबई की लोकल ट्रेनों में भीड़ की पुरानी समस्या और सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर किया।

हादसे का विवरण

9 जून, 2025 को सुबह करीब 9:30 बजे, कसारा से चर्चगेट की ओर जा रही एक लोकल ट्रेन मुंब्रा और डिवा स्टेशन के बीच थी। यह चरम समय था, जब ट्रेन में यात्रियों की भीड़ इतनी थी कि कई लोग फुटबोर्ड पर लटककर सफर कर रहे थे। सेंट्रल रेलवे के मुख्य सार्वजनिक संबंध अधिकारी डॉ. स्वप्निल निला के अनुसार, जब यह ट्रेन मुंब्रा स्टेशन के पास से गुजर रही थी, तभी सामने से आ रही दूसरी ट्रेन के साथ फुटबोर्ड पर खड़े यात्रियों के बैग टकराए। इस टक्कर के कारण कई यात्री असंतुलित होकर पटरियों पर गिर गए, जिसके परिणामस्वरूप चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। घायलों को तुरंत छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल, कलवा ले जाया गया। मृतकों में से एक की उम्र 30-35 वर्ष के बीच थी, और उनकी पहचान की प्रक्रिया जारी है।

सेंट्रल रेलवे ने पुष्टि की कि इस हादसे के बावजूद ट्रेन सेवाएं निर्बाध रूप से चलती रहीं। हालांकि, यह घटना यात्रियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाती है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, यह हादसा उस समय हुआ जब ट्रेन कसारा की ओर जा रही थी, और भीड़ के कारण यात्रियों को फुटबोर्ड पर यात्रा करनी पड़ी।

मुंबई लोकल ट्रेनों का महत्व और चुनौतियां

मुंबई की लोकल ट्रेनें दुनिया की सबसे व्यस्त कम्यूटर रेल सेवाओं में से एक हैं। विकिपीडिया के अनुसार, ये ट्रेनें 400 किलोमीटर से अधिक के नेटवर्क पर प्रतिदिन लगभग 7.5 मिलियन यात्रियों को ढोती हैं, जो भारतीय रेलवे के कुल दैनिक यात्रियों का 40% है। प्रतिवर्ष, यह रेल नेटवर्क 2.64 बिलियन यात्रियों को सेवा प्रदान करता है, जो विश्व की एक-तिहाई आबादी के बराबर है। लेकिन इस विशाल यातायात के साथ कई चुनौतियां भी हैं।

ट्रेनों में खुली खिड़कियां और दरवाजे, जो लागत बचाने और तेजी से बोर्डिंग के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, भीड़ के समय खतरनाक साबित होते हैं। क्लियरट्रिप के अनुसार, ट्रेनें रात में केवल डेढ़ घंटे के लिए रुकती हैं, जिससे रखरखाव और सुधार के लिए समय कम मिलता है। भीड़ के कारण होने वाली दुर्घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। वनइंडिया के अनुसार, हर दिन औसतन सात से आठ लोग ऐसी दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं।

पिछले साल, अप्रैल 2024 में, IIT पटना के छात्र अवधेश दुबे की भी इसी तरह की घटना में मौत हो गई थी, जब वह एक ओवरक्राउडेड ट्रेन से गिर गए थे। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अप्रैल 2024 में ही दो अन्य घटनाएं हुईं, जिनमें यात्रियों की मौत हुई। ये घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि भीड़ की समस्या कितनी गंभीर है।

रेलवे का निर्णय: स्वचालित दरवाजों की शुरुआत

इस त्रासदी के बाद, भारतीय रेलवे ने तत्काल कार्रवाई की घोषणा की। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, रेलवे बोर्ड ने निर्णय लिया है कि मुंबई के सभी नए लोकल ट्रेन रेक्स में स्वचालित दरवाजा बंद करने वाली सुविधा होगी। इसके अलावा, मौजूदा सभी रेक्स को भी इस तरह से फिर से डिज़ाइन किया जाएगा ताकि दरवाजे स्वतः बंद हो सकें। यह कदम यात्रियों को फुटबोर्ड पर यात्रा करने से रोकने और ऐसी दुर्घटनाओं को कम करने के लिए उठाया गया है।

रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, “स्वचालित दरवाजे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।” यह निर्णय 2016 में शुरू किए गए एसी लोकल ट्रेनों के अनुभव पर आधारित है, जिनमें पहले से ही स्वचालित दरवाजे हैं। हालांकि, इस सुविधा को सभी ट्रेनों में लागू करने में समय और निवेश की आवश्यकता होगी।

दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता

स्वचालित दरवाजे एक सकारात्मक कदम हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह समस्या का पूर्ण समाधान नहीं है। द सिटीफिक्स के अनुसार, केवल ट्रेनों की संख्या बढ़ाना पर्याप्त नहीं है। इसके लिए एक एकीकृत परिवहन दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें मेट्रो और बस सेवाओं को मजबूत करना, स्टेशनों पर बेहतर सुविधाएं प्रदान करना, और कार्यालय समय को समायोजित करना शामिल है।

रेलवे ने पहले भी कंपनियों को पत्र लिखकर कार्यालय समय बदलने का अनुरोध किया है, लेकिन इसका प्रभाव सीमित रहा है। लोकमत टाइम्स के अनुसार, रेलवे ने पिछले साल 350 से अधिक पत्र लिखे, लेकिन केवल 15-20 छोटी कंपनियों ने जवाब दिया। इसके अलावा, स्टेशनों पर संकरे प्रवेश द्वार और अपर्याप्त टिकट काउंटर भी भीड़ को बढ़ाते हैं।

9 जून, 2025 की घटना एक दुखद चेतावनी है कि मुंबई की लोकल ट्रेनों में सुरक्षा को प्राथमिकता देना अनिवार्य है। स्वचालित दरवाजों का निर्णय एक सकारात्मक कदम है, लेकिन यह केवल शुरुआत है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए ट्रेनों की संख्या बढ़ाने, बुनियादी ढांचे में सुधार करने, और वैकल्पिक परिवहन विकल्पों को मजबूत करने की आवश्यकता है। मुंबई की लोकल ट्रेनें शहर की धड़कन हैं, और इन्हें सुरक्षित बनाना हम सभी की जिम्मेदारी है। आइए, हम मिलकर ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए प्रयास करें।


Sources : ANI , TOI , The Hindu

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