पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बेहाल – 11 New IMF Conditions
ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव -11 New IMF Conditions on Pakistan
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लंबे समय से चुनौतियों से जूझ रही है, और हाल ही में भारत के साथ बढ़े तनाव ने इस स्थिति को और जटिल बना दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को अपने बेलआउट कार्यक्रम की अगली किश्त जारी करने के लिए 11 नई शर्तें थोप दी हैं। यह कदम भारत के ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद दोनों देशों के बीच हुए तनाव के मद्दे नजर उठाया गया है।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की सटीक कार्रवाई
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई, के जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकी ठिकानो पर सटीक हमले किए। इसके बाद, पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले करने की कोशिश की। चार दिनों तक चले ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद, 10 मई को दोनों देशों के बीच समझौता हुआ और संघर्ष समाप्त हो गया।
हालांकि, इस तनाव का असर केवल सैन्य क्षेत्र तक सीमित नहीं रहा। इसका प्रभाव पाकिस्तान की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा, जिसे आईएमएफ के बेलआउट कार्यक्रम से सहारा मिल रहा है।
आईएमएफ की नई शर्तें
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की 18 मई की एक रिपोर्ट के अनुसार, आईएमएफ ने अपनी नवीनतम स्टाफ लेवल रिपोर्ट में पाकिस्तान के लिए 11 नई शर्तें जोड़ी हैं, जिससे कुल शर्तों की संख्या 50 हो गई है। इनमें से कुछ प्रमुख शर्तें निम्नलिखित हैं:
-
नया बजट: आईएमएफ ने पाकिस्तान से वित्त वर्ष 2026 के लिए 17.6 ट्रिलियन रुपये के बजट को संसद से मंजूरी लेने की शर्त रखी है, जिसमें 1.07 ट्रिलियन रुपये विकास व्यय के लिए निर्धारित हैं। यह बजट जून 2025 तक आईएमएफ के लक्ष्यों के अनुरूप होना चाहिए।
-
कृषि आयकर कानून: चार प्रांतों को जून 2025 तक नए कृषि आयकर कानून लागू करने होंगे। इसके लिए एक व्यापक योजना तैयार की जाएगी, जिसमें रिटर्न प्रोसेसिंग, करदाता पंजीकरण, और अनुपालन सुधार योजना शामिल होगी।
-
बिजली बिल पर अधिभार: सरकार को बिजली बिलों पर ऋण सेवा अधिभार बढ़ाना होगा।
-
पुरानी कारों के आयात पर प्रतिबंध हटाना: तीन साल से पुरानी इस्तेमाल की गई कारों के आयात पर लगे प्रतिबंध को हटाने की शर्त भी शामिल है।
-
शासन कार्य योजना: आईएमएफ के गवर्नेंस डायग्नोस्टिक असेसमेंट की सिफारिशों के आधार पर एक शासन कार्य योजना प्रकाशित करनी होगी।
भारत-पाकिस्तान तनाव का प्रभाव
आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव, यदि यह जारी रहता है या और बिगड़ता है, तो बेलआउट कार्यक्रम के राजकोषीय, बाह्य, और सुधार लक्ष्यों के लिए जोखिम बढ़ सकता है। हालांकि, पिछले दो हफ्तों में तनाव के बावजूद, पाकिस्तान के शेयर बाजार ने अपनी हालिया बढ़त को बनाए रखा और बॉन्ड स्प्रेड में केवल मामूली वृद्धि हुई। यह दर्शाता है कि बाजारों ने इस तनाव को अपेक्षाकृत शांति से लिया।
रक्षा बजट में वृद्धि
आईएमएफ ने पाकिस्तान के अगले वित्त वर्ष के लिए रक्षा बजट को 2.414 ट्रिलियन रुपये (8.5 बिलियन डॉलर) अनुमानित किया था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12% अधिक है। हालांकि, मई की शुरुआत में भारत के साथ टकराव के बाद, पाकिस्तान सरकार ने रक्षा आवंटन को 2.5 ट्रिलियन रुपये से अधिक करने का संकेत दिया, जो आईएमएफ के अनुमान से 18% अधिक है। यह वृद्धि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती है।
आर्थिक और सामरिक निहितार्थ
पाकिस्तान पहले से ही उच्च कर्ज, मंहगाई, और बेरोजगारी से जूझ रहा है। आईएमएफ की नई शर्तें, विशेष रूप से बिजली बिलों पर अधिभार और आयात प्रतिबंध हटाने जैसे कदम, आम जनता के लिए जीवन को और कठिन बना सकते हैं। इसके अलावा, रक्षा बजट में वृद्धि और भारत के साथ तनाव का मतलब है कि सरकार को सीमित संसाधनों को सैन्य और आर्थिक जरूरतों के बीच संतुलन बनाना होगा।
भारत का ऑपरेशन सिंदूर न केवल आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत कदम था, बल्कि इसने पाकिस्तान को सामरिक और आर्थिक दोनों मोर्चों पर दबाव में डाल दिया। दूसरी ओर,ANI ने बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को हुए समझौते ने तत्काल युद्ध के खतरे को टाल दिया, लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव का मूल कारण अभी भी बरकरार है।
ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद भारत-पाकिस्तान तनाव ने न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को प्रभावित किया, बल्कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिरता पर भी गहरा असर डाला। IMF की 11 नई शर्तें पाकिस्तान के लिए एक कठिन राह प्रस्तुत करती हैं, जहां उसे आर्थिक सुधारों और सामरिक चुनौतियों के बीच संतुलन बनाना होगा। यह स्थिति न केवल पाकिस्तान की सरकार के लिए, बल्कि वहां की जनता के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। भविष्य में, दोनों देशों के बीच शांति और सहयोग ही इस क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
Sources : ANI, IMF Staff Level Report