Bhakra Nangal Dam - CISF to be deployed
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Bhakra Nangal Dam की सुरक्षा के लिए केंद्र का कदम, CISF की तैनाती

हाल ही में, हरियाणा और पंजाब के बीच पानी के बंटवारे को लेकर तनाव बढ़ गया है। इस तनाव के बीच, केंद्र सरकार ने Bhakra Nangal Dam की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तैनाती का फैसला किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नंगल में भाखड़ा बांध परियोजना की सुरक्षा शाखा में 296 CISF कर्मियों की तैनाती को अधिसूचित किया है। इस लेख में, हम इस तैनाती के कारणों, पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद की पृष्ठभूमि और इसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

Bhakra Nangal Dam और सीआईएसएफ तैनाती

केंद्र सरकार ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) के निदेशक (सुरक्षा) को एक पत्र जारी कर CISF की तैनाती के लिए सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने का निर्देश दिया है। इसमें आवास, परिवहन, संचार उपकरण और सुरक्षा गैजेट्स की व्यवस्था शामिल है। इस तैनाती का पूरा खर्च BBMB वहन करेगा, जिसकी अनुमानित लागत 8.58 करोड़ रुपये प्रति वर्ष है।

यह निर्णय तब लिया गया जब पंजाब सरकार ने बांध पर अपनी पुलिस बल तैनात की थी और BBMB के अध्यक्ष को पानी छोड़ने के दौरान बंधक बना लिया गया। यह घटना उस समय हुई जब पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने से रोकने का दावा किया, क्योंकि हरियाणा ने सितंबर 2024 से मई 2025 की अवधि के लिए अपनी आवंटित हिस्सेदारी का उपयोग कर लिया था।

पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद

पंजाब और हरियाणा के बीच पानी का बंटवारा लंबे समय से विवाद का विषय रहा है। हाल ही में, पंजाब की आप सरकार ने हरियाणा को दी जाने वाली दैनिक पानी की आपूर्ति को 9,500 क्यूसेक से घटाकर 4,000 क्यूसेक कर दिया। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि उनके राज्य के पास साझा करने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है। मान ने बताया कि पंजाब का जल लेखा-जोखा 21 मई से शुरू होने वाली एक साल की अवधि के आधार पर किया जाता है, और हरियाणा ने अपनी आवंटित हिस्सेदारी का उपयोग कर लिया है।

उन्होंने प्रमुख जलाशयों में पानी के कम स्तर की ओर ध्यान आकर्षित किया। रणजीत सागर बांध का जल स्तर पिछले साल की तुलना में 39 फीट कम है, जबकि पोंग बांध का स्तर 24 फीट नीचे है। मान ने कहा, “हमारे पास देने के लिए एक बूंद अतिरिक्त पानी नहीं है।”

दूसरी ओर, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मान के बयान को “भ्रामक” करार दिया और पंजाब पर लंबे समय से चले आ रहे जल-बंटवारे के समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। हरियाणा की सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी ने 29 अप्रैल को दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल से मुलाकात कर केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि पानी की आपूर्ति में कमी से हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, रोहतक और महेंद्रगढ़ जिलों में पेयजल और सिंचाई पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

सीआईएसएफ तैनाती का महत्व

भाखड़ा नंगल बांध भारत की महत्वपूर्ण जल और बिजली परियोजनाओं में से एक है। यह न केवल पंजाब और हरियाणा, बल्कि अन्य पड़ोसी राज्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है। बांध की सुरक्षा सुनिश्चित करना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है, खासकर तब जब दोनों राज्यों के बीच तनाव चरम पर है। सीआईएसएफ की तैनाती न केवल बांध की सुरक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगी कि ऐसी घटनाएं, जैसे कि BBMB अध्यक्ष को बंधक बनाना, दोबारा न हों।

प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं

इस तैनाती और पानी के बंटवारे के विवाद के कई दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं। सबसे पहले, यह दोनों राज्यों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है, क्योंकि हरियाणा ने केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर हस्तक्षेप की मांग की है। दूसरा, सीआईएसएफ की तैनाती से बांध की सुरक्षा तो सुनिश्चित होगी, लेकिन यह विवाद का स्थायी समाधान नहीं है। केंद्र सरकार को दोनों राज्यों के बीच मध्यस्थता कर एक दीर्घकालिक जल-बंटवारा समझौता सुनिश्चित करना होगा।

इसके अलावा, जल संकट की स्थिति को देखते हुए, दोनों राज्यों को जल संरक्षण और प्रबंधन के लिए दीर्घकालिक रणनीतियां अपनानी होंगी। जलवायु परिवर्तन और अनियमित वर्षा के कारण जलाशयों में पानी का स्तर लगातार कम हो रहा है, जिससे भविष्य में इस तरह के विवाद और बढ़ सकते हैं।

भाखड़ा नंगल बांध पर CISF की तैनाती और पंजाब-हरियाणा जल विवाद एक जटिल मुद्दा है, जिसके समाधान के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा। यह तैनाती बांध की सुरक्षा को तो सुनिश्चित करेगी, लेकिन पानी के बंटवारे का मूल मुद्दा अभी भी अनसुलझा है। दोनों राज्यों को बातचीत और सहयोग के माध्यम से इस समस्या का हल निकालना होगा, ताकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनी रहे।


Sources : news18, The Tribune

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