China’s Shadow in India-Pakistan Conflict-Shashi Tharoor ने उजागर किया सच
‘Defence may be the wrong word’: Shashi Tharoor
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में इस तनाव में एक नया आयाम जुड़ा है-चीन की भूमिका। कांग्रेस सांसद और पूर्व राजनयिक Shashi Tharoor ने हाल ही में अमेरिका में एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल के दौरान इस पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “चीन हमारे संघर्ष में एक ऐसा कारक है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।” उनकी टिप्पणी कि “रक्षा गलत शब्द हो सकता है; यह अधिकतर आक्रमण के बारे में है,” ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में चीन की भूमिका पर नई बहस छेड़ दी है। यह ब्लॉग पोस्ट इस टिप्पणी के महत्व, इसके पीछे के संदर्भ और भारत की सुरक्षा नीति पर इसके प्रभावों का विश्लेषण करता है।
भारत-पाकिस्तान संघर्ष का पृष्ठभूमि
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का इतिहास 1947 में दोनों देशों के विभाजन के साथ शुरू हुआ। कश्मीर मुद्दा और सीमा पार आतंकवाद इस तनाव के प्रमुख कारण रहे हैं। हाल ही में, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए, ने भारत को जवाबी कार्रवाई के लिए प्रेरित किया। इसके परिणामस्वरूप, भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसके तहत पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस ऑपरेशन ने न केवल भारत-पाकिस्तान संबंधों को प्रभावित किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी चर्चा का विषय बन गया।
शशि थरूर, जो संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं, इस समय एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे। उनका उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के आतंकवाद से संबंधों को वैश्विक मंचों पर उजागर करना था। इस दौरान, उन्होंने चीन की भूमिका पर विशेष जोर दिया।
चीन की भूमिका: सैन्य और आर्थिक सहयोग
चीन और पाकिस्तान के बीच गहरा रणनीतिक गठजोड़ है। शशि थरूर ने बताया कि पाकिस्तान के 81% रक्षा उपकरण चीन से आते हैं। इनमें रडार, मिसाइल, और तथाकथित “किल चेन” प्रणाली शामिल है, जिसमें रडार, जीपीएस, विमान और मिसाइल एक साथ काम करते हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारत ने इन चीनी प्रणालियों को भेदने में सफलता हासिल की, जिसने पाकिस्तान की सैन्य रणनीति को कमजोर किया।
इसके अलावा, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। यह गलियारा पाकिस्तान के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन भारत के लिए यह चिंता का विषय है। CPEC विवादित कश्मीर क्षेत्र से होकर गुजरता है, जिसे भारत अपना हिस्सा मानता है। यह भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए एक चुनौती है।
चीन ने न केवल सैन्य और आर्थिक सहायता के माध्यम से पाकिस्तान का समर्थन किया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उसका साथ दिया है। उदाहरण के लिए, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में, चीन ने पाकिस्तान-आधारित आतंकवादी समूहों, जैसे जैश-ए-मोहम्मद, पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्तावों का विरोध किया है। थरूर ने इस पर कटाक्ष करते हुए कहा, “पाकिस्तान ने अपने मित्र चीन के समर्थन से UNSC में आतंकवादी समूहों का नाम हटवाया।”
शशि थरूर की टिप्पणी का महत्व
शशि थरूर की टिप्पणी कि “रक्षा गलत शब्द हो सकता है; यह अधिकतर आक्रमण के बारे में है,” इस बात की ओर इशारा करती है कि चीन की सैन्य सहायता पाकिस्तान को रक्षात्मक रणनीति से अधिक आक्रामक क्षमता प्रदान करती है। यह टिप्पणी भारत के लिए एक चेतावनी है कि पाकिस्तान के साथ किसी भी संघर्ष में चीन की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। थरूर ने यह भी उल्लेख किया कि भारत और चीन के बीच संबंध पिछले कुछ महीनों में सुधर रहे थे, लेकिन पाकिस्तान के साथ हालिया संघर्ष ने इसे प्रभावित किया है।
उनके बयान का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह भारत की कूटनीतिक रणनीति को रेखांकित करता है। थरूर ने अमेरिका में थिंक टैंकों और पत्रकारों के साथ बातचीत में भारत की स्थिति को स्पष्ट किया, जिसमें उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवाद के खिलाफ एक लक्षित कार्रवाई बताया। उन्होंने कहा, “हमने केवल आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया, सैन्य या सरकारी प्रतिष्ठानों को नहीं।” यह भारत की उस नीति को दर्शाता है जो युद्ध को टालने और नागरिक हानि को कम करने पर केंद्रित है।
भारत की सुरक्षा और विदेश नीति पर प्रभाव
चीन की भूमिका भारत की सुरक्षा और विदेश नीति के लिए कई चुनौतियां प्रस्तुत करती है। पहला, भारत को पाकिस्तान के साथ तनाव को प्रबंधित करने के लिए एक ऐसी रणनीति की आवश्यकता है जो चीन के प्रभाव को ध्यान में रखे। दूसरा, भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी स्थिति को मजबूत करना होगा, ताकि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहमति बनाई जा सके। तीसरा, भारत को चीन के साथ अपने संबंधों को सावधानीपूर्वक संतुलित करना होगा, क्योंकि दोनों देशों के बीच आर्थिक और कूटनीतिक संबंध भी महत्वपूर्ण हैं।
थरूर ने यह भी सुझाव दिया कि यदि चीन पाकिस्तान को तनाव कम करने का संदेश दे, तो स्थिति में सुधार हो सकता है। उन्होंने कहा, “यदि चीन एक संदेश देता है, तो हम पाकिस्तान को तनाव कम करते देख सकते हैं।” यह भारत की उस रणनीति को दर्शाता है जो कूटनीति और सैन्य ताकत के संयोजन पर आधारित है।
शशि थरूर की टिप्पणी ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में चीन की भूमिका को स्पष्ट रूप से उजागर किया है। यह न केवल भारत की सुरक्षा नीति के लिए, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। भारत को इस जटिल त्रिकोणीय संबंध को समझते हुए अपनी नीतियों को आकार देना होगा। थरूर का यह बयान एक चेतावनी है कि भारत को न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करनी होगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी आवाज को मजबूत करना होगा। यह एक ऐसी चुनौती है जिसके लिए भारत को कूटनीति, सैन्य ताकत और रणनीतिक दूरदर्शिता का उपयोग करना होगा।
Sources: Hindustantimes , ANI , TOI