Dhiman Chakma
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IAS Officer Caught Red-Handed: 10 लाख रिश्वत में Dhiman Chakma पकड़े गए!

ओडिशा के कलाहांडी जिले में एक सनसनीखेज घटना ने प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। Dhiman Chakma, 2021 बैच के एक आईएएस अधिकारी और धरमगढ़ ब्लॉक के सब-कलेक्टर, को 8 जून 2025 को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया।  के अनुसार, चकमा ने एक स्थानीय व्यवसायी से 10 लाख रुपये की रिश्वत ली, जो कि कुल मांगी गई 20 लाख रुपये की रिश्वत का पहला हिस्सा थी। इसके अलावा, उनके आधिकारिक निवास पर छापेमारी के दौरान 47 लाख रुपये की नकदी बरामद की गई, जिसका कोई हिसाब नहीं था। यह घटना न केवल भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर करती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं में से एक, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), में अखंडता का स्तर क्या है।

Dhiman Chakma – पृष्ठभूमि

धीमान चकमा, 36 वर्षीय, त्रिपुरा के कांचनपुर के निवासी हैं। उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT), अगरतला से कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री हासिल की है। The Print के अनुसार, वह 2021 बैच के ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी हैं और जनवरी 2024 से धरमगढ़ ब्लॉक में सब-कलेक्टर के रूप में अपनी पहली पोस्टिंग पर कार्यरत थे। इससे पहले, उन्होंने मयूरभंज, ओडिशा में भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी के रूप में सेवा दी थी। उनकी शैक्षणिक और पेशेवर पृष्ठभूमि को देखते हुए, इस तरह का कृत्य अप्रत्याशित और चौंकाने वाला है।

घटना का विवरण

8 जून 2025 को, ओडिशा विजिलेंस ने एक स्थानीय व्यवसायी की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए चकमा को उनके धरमगढ़ स्थित आधिकारिक निवास पर रिश्वत लेते हुए पकड़ा। व्यवसायी ने आरोप लगाया कि चकमा ने उनकी पत्थर कुचलने वाली इकाई के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की धमकी देकर 20 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। व्यवसायी ने पहली किश्त के रूप में 10 लाख रुपये देने का फैसला किया और इसकी सूचना विजिलेंस को दी। विजिलेंस ने एक जाल बिछाया और चकमा को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया।

विजिलेंस के आधिकारिक बयान में कहा गया, “8 जून 2025 को, धीमान चकमा, 2021 बैच के आईएएस अधिकारी और कलाहांडी जिले के धरमगढ़ क्षेत्र के सब-कलेक्टर, को एक स्थानीय व्यवसायी से 10 लाख रुपये की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के दौरान रंगे हाथों पकड़ा गया। यह राशि 20 लाख रुपये की कुल मांग का एक हिस्सा थी।”।

चकमा ने व्यवसायी को अपने निवास पर बुलाया, विभिन्न मूल्यवर्ग के नोटों की जांच की, और उन्हें अपनी ऑफिस टेबल की दराज में रख दिया। रासायनिक परीक्षण में उनके हाथ और दराज के वॉश से रिश्वत की पुष्टि हुई। इसके बाद, विजिलेंस ने उनके निवास और कार्यालय पर छापेमारी की, जिसमें 47 लाख रुपये की अतिरिक्त नकदी बरामद हुई, जिसका कोई हिसाब नहीं था।

कानूनी कार्रवाई

चकमा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत गिरफ्तार किया गया है, जिसके तहत दोषी पाए जाने पर 3 से 7 साल की सजा हो सकती है। विजिलेंस निदेशक यशवंत जेठवा के नेतृत्व में जांच जारी है, और छापेमारी 9 जून 2025 की सुबह तक चली। चकमा को स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई चल रही थी।

विवरण

जानकारी

नाम

धीमान चकमा

पद

सब-कलेक्टर, धरमगढ़, कलाहांडी, ओडिशा

बैच

2021 आईएएस, ओडिशा कैडर

उम्र

36 वर्ष

निवास

कांचनपुर, त्रिपुरा

शिक्षा

बीटेक, कंप्यूटर साइंस, एनआईटी अगरतला

रिश्वत की राशि

10 लाख रुपये (20 लाख की मांग का पहला हिस्सा)

बरामद नकदी

47 लाख रुपये (बिना हिसाब)

गिरफ्तारी की तारीख

8 जून 2025

कानूनी कार्रवाई

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7

जांच एजेंसी

ओडिशा विजिलेंस, निदेशक यशवंत जेठवा

व्यापक प्रभाव

यह घटना भारतीय प्रशासनिक सेवा में भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर करती है। The Indian Express के अनुसार, चकमा ने अपने पद का दुरुपयोग करके व्यवसायी को धमकी दी, जो सत्ता के दुरुपयोग का स्पष्ट उदाहरण है। कुल 57 लाख रुपये की नकदी (10 लाख रिश्वत + 47 लाख बरामद) इस मामले की गंभीरता को दर्शाती है। यह घटना जनता के विश्वास को कम कर सकती है और प्रशासन में और सख्त निगरानी की आवश्यकता को रेखांकित करती है। यह चकमा के करियर और कानूनी स्थिति पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकती है।

इसके अलावा, यह मामला प्रशासनिक सेवाओं में नैतिकता और प्रशिक्षण की कमी को भी उजागर करता है। यह  घटना यूपीएससी की नैतिकता परीक्षा की विफलता के रूप में देखि जा सकती है , जो सिविल सेवकों में नैतिक मूल्यों को स्थापित करने में कमियों को दर्शाता है। यह घटना सरकार को भ्रष्टाचार विरोधी उपायों को और मजबूत करने के लिए प्रेरित कर सकती है।

धीमान चकमा का रिश्वत कांड हमें याद दिलाता है कि सार्वजनिक सेवा में अखंडता सर्वोपरि है। ओडिशा विजिलेंस की त्वरित कार्रवाई इस बात का प्रमाण है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। यह मामला न केवल चकमा के लिए, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र के लिए एक सबक है कि भ्रष्टाचार किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सतर्कता और पारदर्शिता को और बढ़ाने की आवश्यकता है।


Sources: Hindustantimes , TOI , Theindianexpress

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