India Surpasses Japan – भारत बनी दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
India Surpasses Japan : अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। IMF के World Economic Outlook (अप्रैल 2025) में अनुमानित है कि वर्ष 2025 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) लगभग $4.187 ट्रिलियन (USD) तक पहुँच जाएगा, जो जापान के अनुमानित $4.186 ट्रिलियन से थोड़ा अधिक है । NITI आयोग के CEO बी.वी.आर. सुब्रमण्यन ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि “हम एक $4 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था वाले चौथे सबसे बड़े देश बन चुके हैं… भारत आज जापान से बड़ा है”.
NITI आयोग प्रमुख का बयान: जर्मनी पर नजर
सुब्रमण्यन ने यह भी कहा है कि अब केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी ही भारत से बड़े हैं, और यदि योजनानुसार विकास हुआ तो अगले 2.5–3 वर्षों में भारत जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. उनके अनुसार, “अगर हम योजनाबद्ध तरीके से काम करते रहे, तो 2-3 साल में हम तीसरे स्थान पर होंगे”. IMF के अनुमान के मुताबिक भारत की तेज विकास दर 2028 तक अर्थव्यवस्था को $5.584 ट्रिलियन तक बढ़ा देगी, जिससे जर्मनी (लगभग $5.252 ट्रिलियन) को भी पीछे छोड़ दिया जाएगा.
भारत की आर्थिक यात्रा: उदारीकरण से डिजिटल युग तक
1991 के आर्थिक उदारीकरण ने भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विककरण की राह पर अग्रसर किया। इस परिवर्तन के बाद से विदेशी निवेश और प्रौद्योगिकी की आमद हुई, जिसने सूचना प्रौद्योगिकी (IT) एवं सेवा क्षेत्र को तेज़ी से विकसित होने में मदद की। पिछले दो दशकों में सेवा क्षेत्र का हिस्सा GDP में बढ़कर लगभग 55% तक पहुंच गया है, जबकि विनिर्माण क्षेत्र का हिस्सा करीब 16-17% ही रहा। यह अनूठा विकास मार्ग था जिसमें भारत ने सेवाओं पर ज़्यादा जोर दिया। साथ ही, 2014 से शुरू हुई “मेक इन इंडिया” जैसी पहलों और बाद में PLI (उत्पादन-सम्बंधित प्रोत्साहन) योजनाओं ने विनिर्माण को बढ़ावा दिया।
डिजिटलीकरण ने भी अर्थव्यवस्था को रूपांतरित किया है। सरकार की डिजिटल इंडिया पहल (2015) और इंटरनेट-सक्षम सेवाओं की उपलब्धता के कारण आज भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था GDP का लगभग 11.7% हिस्सा है। IMF और सरकारी रिपोर्ट बताती हैं कि भारत दुनिया में वैश्विक स्तर पर डिजिटलीकरण में तीसरे स्थान पर है। बैंकिंग, मोबाइल भुगतान (UPI) और ई-गवर्नेंस से लेकर ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट कवरेज तक ने आर्थिक क्रियाशीलता को बढ़ाया है।
सरकारी नीतियों का योगदान
सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाओं ने विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिनमें प्रमुख हैं:
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उत्पादन-सम्बंधित प्रोत्साहन (PLI) योजना: विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 2020 से लागू PLI योजना में 14 ‘सनराइज़’ सेक्टर्स को शामिल किया गया है (जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल आदि)। इस योजना से कई कंपनियों ने बड़े पैमाने पर उत्पादन बढ़ाया है। केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार PLI से घरेलू विनिर्माण को प्रेरणा मिली है, उत्पादन बढ़ा है और निर्यात को बल मिला है।
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डिजिटल इंडिया: 2015 में शुरू डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने ई-गवर्नेंस, डिजिटल भुगतान और शिक्षा में क्रांति लायी। इसके तहत पूरे देश में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, आधार कार्ड, ऑनलाइन सेवाएँ आदि मिले। इसका असर यह है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था अब भारतीय GDP का लगभग 11.7% तक पहुँच चुकी है, जिससे आर्थिक समावेशन और उत्पादकता बढ़ी है।
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स्टार्टअप इंडिया: 2016 में लॉन्च हुई इस पहल से नए कारोबार (स्टार्टअप) और नवाचार को प्रोत्साहन मिला। सरकार की DPIIT रिपोर्ट के अनुसार अब भारत में 1.57 लाख से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप हैं, जो 2016 में सिर्फ ~500 थे। इनसे 17.28 लाख सीधी नौकरियाँ भी बनी हैं। इससे नई तकनीकों और रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं, और भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है।
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इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास: पीएम गती-शक्ति योजना (2021) ने रेल, सड़क और लॉजिस्टिक्स परियोजनाओं का समन्वित विकास सुनिश्चित किया है। केंद्र-राज्य समन्वित प्रयासों से 2023-24 में इंफ्रास्ट्रक्चर पर कुल ₹10 लाख करोड़ का बजट आवंटित किया गया. राष्ट्रीय राजमार्गों के नेटवर्क को भी विस्तार मिला है 2004 में 65,569 किमी से बढ़कर 2024 तक यह लंबाई 1,46,145 किमी हो गई. इसके परिणामस्वरूप माल-यातायात की लागत कम हुई और व्यापार में सुगमता आई है.
अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर (IMF अनुमान)
IMF ने 2025-26 के लिए विभिन्न देशों की GDP वृद्धि दर भी अनुमानित की है। इसके अनुसार चीन की अर्थव्यवस्था 2025 में लगभग 4.0% बढ़ेगी। जबकि अमेरिका की वृद्धि दर क्रमश: 1.8% (2025) और 1.7% (2026) रहने का अनुमान है। जापान की दर दोनों वर्षों में लगभग 0.6% रहेगी. जर्मनी के लिए IMF ने 2025 में 0% और 2026 में सिर्फ 0.9% की वृद्धि दर अनुमानित की है। यूरो क्षेत्र में क्रमशः 0.8% (2025) और 1.2% (2026) की वृद्धि रहने की संभावना है। इन अनुमानों से स्पष्ट है कि वैश्विक अर्थव्यवस्थाएँ अपेक्षाकृत धीमी गति से बढ़ेंगी, जबकि भारत अपनी 6%+ की वृद्धि दर से शीर्ष पर बना रहेगा।
भविष्य की संभावनाएँ और चुनौतियाँ
भारत की वृद्धि की संभावनाएँ उज्जवल हैं क्योंकि घरेलू बाज़ार बड़ा है और युवा आबादी कार्यशील है। IMF ने 2025 में भारत की GDP वृद्धि ~6.2% रहने का अनुमान जताया है, जो दुनिया के बड़े देशों में सर्वाधिक है। लेकिन साथ ही चुनौतियाँ भी हैं। विशेषज्ञों के अनुसार भारत को उच्च विकास दर बरकरार रखने के लिए व्यापक संरचनात्मक सुधार करने होंगे। वर्तमान में आर्थिक विस्तार धीमा हुआ है: हाल के वर्षों में विकास दर औसतन 5-6% रही जबकि मुद्रास्फीति 8% से ऊपर बनी हुई है। विनिर्माण क्षेत्र अपेक्षाकृत सुस्त है, बेरोजगारी की समस्या बनी हुई है, और व्यापार घाटा बढ़ रहा है.
भविष्य में इन चुनौतियों से निपटने के लिए शिक्षा, कौशल विकास और तकनीकी नवाचार पर जोर मिलेगा। सरकार ने पहले से ही वित्तीय समावेशन, कृषि सुधार, और हरित ऊर्जा पर काम शुरू किया है। यदि ये प्रयास सफल रहे, तो भारत आने वाले दशकों में मजबूत आर्थिक वृद्धि जारी रखेगा और तीसरे स्थान के करीब पहुँच जाएगा।
संक्षेप में, इतिहासिक रूप से औसत से तेज विकास दर और हाल की नीतियों के संगम ने भारत को विकसित राष्ट्रों के समूह में स्थापित किया है, लेकिन सफलता के लिए निरंतर सुधार एवं निवेश की आवश्यकता रहेगी।
Sources: IMF World Economic Outlook (अप्रैल 2025), DD News, Times of India, Hindustan Times, Economic Times, Press Information Bureau (PIB), Reuters, Hudson Institute आदिका अध्ययन एवं समाचार रिपोर्टों के आधार पर तैयार।