India-Taliban Relations - Jaishankar Talks With Muttaki for the first time Officially
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India-Taliban Relations: जयशंकर-मुत्ताकी की ऐतिहासिक बातचीत

India-Taliban Relations:

भारत और अफगानिस्तान के बीच रिश्तों में एक नया मोड़ उस समय आया जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से पहली बार सीधी बातचीत की। यह भारत की ओर से तालिबान शासन के साथ हुआ पहला आधिकारिक मंत्रीस्तरीय संपर्क है। आइए जानते हैं इस ऐतिहासिक संवाद में क्या-क्या बातें हुईं और इसके मायने क्या हैं।

पहली बार तालिबान से आधिकारिक बातचीत: क्या है खास?

गुरुवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आमिर खान मुत्ताकी से फोन पर बातचीत की। यह भारत की ओर से तालिबान शासन से पहली बार किसी मंत्री का संपर्क था, जबकि भारत ने अब तक तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं दी है।

यह बातचीत ऐसे समय पर हुई है जब कुछ ही दिन पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हुई थी, और तालिबान ने उस हमले की सार्वजनिक रूप से निंदा की थी।

पहलगाम हमले की निंदा पर भारत की प्रतिक्रिया

बातचीत के बाद एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर मुत्ताकी का धन्यवाद करते हुए लिखा,

“अफगान लोगों के साथ हमारी पारंपरिक मित्रता और उनके विकास की जरूरतों के लिए हमारे निरंतर समर्थन को दोहराया। सहयोग को आगे बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की।”

इस बयान से स्पष्ट है कि भारत, अफगानिस्तान की जनता को अब भी एक ऐतिहासिक मित्र मानता है, चाहे वहां सत्ता में कोई भी हो।

पाकिस्तान के दुष्प्रचार का खंडन

जयशंकर ने इस मौके पर पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे भ्रामक प्रचार का भी कड़ा जवाब दिया। हाल ही में पाकिस्तानी मीडिया ने यह दावा किया था कि भारत ने तालिबान को “फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन” के लिए “हायर” किया है  यानी पहलगाम हमला खुद करवाकर उसका दोष दूसरों पर मढ़ा जा रहा है।

जयशंकर ने मुत्ताकी की इस दावे को खारिज करने वाली स्पष्ट प्रतिक्रिया की सराहना की और कहा,

“हालिया प्रयासों के तहत भारत और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास पैदा करने की कोशिशों को उन्होंने दृढ़ता से खारिज किया है, यह स्वागत योग्य है।”

वीज़ा, व्यापार और जेलों से रिहाई जैसे मुद्दे भी चर्चा में

तालिबान की ओर से जारी बयान के अनुसार, बातचीत में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई:

  • अफगान नागरिकों के लिए भारत में इलाज हेतु वीज़ा की सुविधा

  • भारत में बंद अफगान नागरिकों की रिहाई और उन्हें स्वदेश लौटाने का मामला

  • भारत-अफगान व्यापार संबंधों को फिर से सक्रिय करने के उपाय

  • चाबहार पोर्ट के जरिए व्यापार को बढ़ावा देना

गौरतलब है कि ईरान के चाबहार पोर्ट में भारत की एक सरकारी कंपनी एक टर्मिनल का संचालन करती है, जिससे भारत द्वारा अफगानिस्तान तक मानवीय मदद और व्यापारिक सामग्री पहुंचाई जाती रही है।

तालिबान की तरफ से भारत को “क्षेत्रीय कुंजी साझेदार” बताया गया

तालिबान के मुत्ताकी ने इस बातचीत में भारत को एक “महत्वपूर्ण क्षेत्रीय देश” बताया और दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों को दोहराया। उन्होंने आशा जताई कि आने वाले समय में भारत-अफगानिस्तान संबंध और अधिक मजबूत होंगे।

बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत के साथ चाबहार पोर्ट के जरिए व्यापारिक सहयोग को आगे बढ़ाने में उनकी रुचि है, विशेष रूप से तब, जब भारत ने पाकिस्तान के अटारी सीमा मार्ग को बंद कर दिया है  जो अफगान व्यापारियों के लिए एकमात्र जमीनी रास्ता था।

एक नई शुरुआत की उम्मीद

इस बातचीत से यह साफ है कि भारत अब अफगानिस्तान में तालिबान शासन के साथ “जनता के स्तर” पर जुड़ने की नीति पर आगे बढ़ रहा है, बिना उसे औपचारिक मान्यता दिए। इससे यह संकेत मिलता है कि भारत अफगान जनता के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को राजनीतिक सीमाओं से ऊपर रखता है।

इससे पहले भी भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दुबई में मुत्ताकी से मुलाकात की थी, जो इस प्रक्रिया का एक और संकेत था।

कूटनीति का नया अध्याय

जयशंकर और मुत्ताकी की यह बातचीत एक प्रतीक है बदलते वैश्विक समीकरणों में भारत अपने हितों की रक्षा करते हुए अफगान जनता के साथ सहयोग की राह नहीं छोड़ना चाहता। यह संवाद कूटनीति का एक नया अध्याय है, जिसमें संवेदनशीलता, रणनीति और दूरदर्शिता  तीनों शामिल हैं।


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