नागपुर में माओवादी समर्थक रेजाज सायदीक की गिरफ्तारी: भारत सरकार के खिलाफ युद्ध की तैयारी का आरोप
हाल ही में, 7 मई 2025 को नागपुर में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जब केरल के 26 वर्षीय छात्र और कथित कार्यकर्ता रेजाज एम. शीबा सायदीक को गिरफ्तार किया गया। रेजाज, जो कोच्चि के एडप्पल्ली क्षेत्र के निवासी हैं, पर भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की तैयारी करने का गंभीर आरोप लगाया गया है। यह गिरफ्तारी उनके इंस्टाग्राम पोस्ट के बाद हुई, जिसमें उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में आतंकी ठिकानों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर की निंदा की थी। इसके साथ ही, उन्होंने नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियानों की भी आलोचना की थी।
रेजाज सायदीक को नागपुर के लकड़गंज क्षेत्र में एक होटल से गिरफ्तार किया गया, जहां वह अपनी 22 वर्षीय मित्र ईशा कुमारी के साथ ठहरे हुए थे। ईशा कुमारी नागपुर की रहने वाली हैं और वर्तमान में पुणे में पढ़ाई कर रही हैं। पुलिस के अनुसार, रेजाज ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें वे ऑपरेशन सिंदूर की आलोचना करते हुए दिखाई दिए। इस वीडियो में उनके हाथ में दो बंदूकें भी थीं, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि ये हथियार असली थे या नकली। इस पोस्ट ने पुलिस और खुफिया एजेंसियों का ध्यान आकर्षित किया, जिसके बाद उनकी गतिविधियों की जांच शुरू हुई।
लकड़गंज पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी (FIR) के अनुसार, रेजाज ने न केवल ऑपरेशन सिंदूर की आलोचना की, बल्कि नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियानों को भी गलत ठहराया। इसके अलावा, उनके पास से कुछ दस्तावेज और सामग्री जब्त की गई, जिसमें एक पत्र शामिल था, जिसमें भारतीय सरकार की नक्सल-विरोधी नीतियों की आलोचना की गई थी और प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के साथ शांति वार्ता की मांग की गई थी।
कानूनी कार्रवाई और आरोप
रेजाज सायदीक के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
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धारा 149: भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की तैयारी करना।
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धारा 192: दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना।
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धारा 351: आपराधिक धमकी देना।
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धारा 353: ऐसी टिप्पणियां करना जो सार्वजनिक अशांति को बढ़ावा दें।
इनके अलावा, अन्य प्रावधानों के तहत भी कार्रवाई की गई है। गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने उनके कब्जे से तीन किताबें भी जब्त कीं, जो प्रतिबंधित माओवादी विचारधारा से संबंधित थीं। इनमें से एक किताब जी.एन. सायबाबा पर केंद्रित थी, जिन्हें पहले नक्सल समर्थक होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस ने रेजाज की मित्र ईशा कुमारी को भी हिरासत में लिया, हालांकि उनके खिलाफ अभी तक कोई स्पष्ट आरोप नहीं लगाए गए हैं। जांच एजेंसियां रेजाज के डिजिटल उपकरणों और संपर्कों की गहन जांच कर रही हैं ताकि माओवादी गतिविधियों से जुड़े व्यापक शहरी नेटवर्क का पता लगाया जा सके।
ऑपरेशन सिंदूर क्या है?
ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा हाल ही में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में आतंकी ठिकानों के खिलाफ चलाया गया एक सैन्य अभियान है। इस ऑपरेशन को भारत ने पाकिस्तान के कथित उकसावे और जम्मू-कश्मीर, पंजाब, और राजस्थान में हमलों के जवाब में शुरू किया था। इस अभियान को लेकर देश में व्यापक चर्चा हो रही है, और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि, रेजाज सायदीक जैसे कुछ व्यक्तियों ने इसकी आलोचना की, जिसके परिणामस्वरूप उनकी गतिविधियां संदेह के घेरे में आईं।
माओवादी विचारधारा और शहरी नेटवर्क
माओवादी विचारधारा भारत के कई हिस्सों, खासकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में सक्रिय रही है। सीपीआई (माओवादी) एक प्रतिबंधित संगठन है, जो सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह को बढ़ावा देता है। हाल के वर्षों में, खुफिया एजेंसियों ने शहरी क्षेत्रों में माओवादी समर्थकों के नेटवर्क पर ध्यान केंद्रित किया है, जो प्रचार, धन संग्रह, और युवाओं को भर्ती करने जैसे कार्यों में शामिल होते हैं।
रेजाज सायदीक के मामले में, पुलिस का दावा है कि वे डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन के केरल चैप्टर के अध्यक्ष थे और माओवादी प्रचार सामग्री तैयार करने में शामिल थे। उनके पास से जब्त एक पत्रिका, ‘नजरिया’, और अन्य दस्तावेजों से संकेत मिलता है कि वे सरकार और माओवादियों के बीच शांति वार्ता के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे। इसके अलावा, उनके इंस्टाग्राम पोस्ट में हथियारों का प्रदर्शन और ऑपरेशन सिंदूर की आलोचना उनकी उग्रवादी गतिविधियों की ओर इशारा करती है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
रेजाज सायदीक की गिरफ्तारी ने कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े किए हैं। एक ओर, यह राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक खतरों से निपटने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। दूसरी ओर, कुछ संगठनों और कार्यकर्ताओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। केरल में डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स एसोसिएशन की एक सदस्य निहारिका प्रदौश ने दावा किया कि रेजाज केवल एक पत्रकार और कार्यकर्ता हैं, जो मानवाधिकारों के मुद्दों पर काम करते हैं। उन्होंने कहा कि रेजाज दिल्ली से केरल लौटते समय नागपुर में एक मित्र से मिलने रुके थे।
यह मामला सोशल मीडिया की भूमिका और डिजिटल युग में विचारधारा के प्रसार को भी उजागर करता है। इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट ने न केवल रेजाज की गिरफ्तारी को ट्रिगर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे सोशल मीडिया का उपयोग प्रचार और उकसावे के लिए किया जा सकता है।
रेजाज सायदीक को 13 मई तक पुलिस हिरासत में रखा गया है, और जांच अभी जारी है। पुलिस और खुफिया एजेंसियां उनके संपर्कों, डिजिटल उपकरणों, और संभावित माओवादी नेटवर्क की गहन जांच कर रही हैं। इस मामले का परिणाम न केवल रेजाज के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि सरकार माओवादी समर्थकों के खिलाफ अपनी नीति को कैसे आगे बढ़ाती है।
रेजाज सायदीक की गिरफ्तारी एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, और सोशल मीडिया के उपयोग जैसे कई पहलुओं को छूता है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि विचारधारा, प्रचार, और हिंसा के बीच की रेखा कहां खींची जानी चाहिए। साथ ही, यह सरकार और नागरिकों के बीच संवाद की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है ताकि इस तरह के मुद्दों को संतुलित और पारदर्शी तरीके से हल किया जा सके।
हम इस मामले में आगे की प्रगति पर नजर रखेंगे और आपको नवीनतम अपडेट प्रदान करेंगे। तब तक, अपने विचार और सुझाव कमेंट में साझा करें। क्या आपको लगता है कि यह गिरफ्तारी उचित थी, या यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है?