PM Modi कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे: 6 साल में पहली बार अनुपस्थिति
राजनयिक तनाव के बीच महत्वपूर्ण निर्णय
PM Modi के कनाडा में होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में भाग न लेने की संभावना है, जो छह साल में पहली बार होगा। यह 15-17 जून को होने वाले इस महत्वपूर्ण मंच से उनकी अनुपस्थिति का संकेत है, जिसके पीछे द्विपक्षीय संबंधों में तनाव, आमंत्रण की कमी और सुरक्षा चिंताओं जैसे कई कारण हैं।
G7 में भारत की निरंतर उपस्थिति का इतिहास
भारत एक G7 सदस्य देश नहीं है, लेकिन 2019 से लगातार एक आमंत्रित अतिथि के रूप में इन शिखर सम्मेलनों में भाग लेता रहा है। फ्रांस द्वारा आयोजित 2019 के शिखर सम्मेलन के बाद से यह पहली बार होगा जब मोदी इन विकसित अर्थव्यवस्थाओं के समूह की बैठक में उपस्थित नहीं होंगे। पिछले कुछ वर्षों में, PM मोदी ने इन सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए देश की बढ़ती वैश्विक स्थिति को मजबूत बनाया है।
भारत-कनाडा संबंधों में गहराता संकट
दोनों देशों के बीच संबंध 2023 में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले के बाद से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस सिख नेता की हत्या में भारत की संभावित भूमिका का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने पूर्णतः खारिज किया था। इन आरोपों के बाद कनाडा ने अक्टूबर 2023 में भारत से 40 से अधिक राजनयिकों को वापस बुलाया था।
हाल की घटनाओं में, भारत ने कनाडा से अपने 62 में से 41 राजनयिकों को हटाने को कहा था, जिसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंध शीतल बने हुए हैं। यह राजनयिक विवाद न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी इसकी छाया दिख रही है।
सुरक्षा चिंताएं और आमंत्रण की अनुपस्थिति
सूत्रों के अनुसार, PM मोदी को अभी तक G7 शिखर सम्मेलन के लिए औपचारिक आमंत्रण नहीं मिला है। सिख संगठनों ने कनाडा सरकार से आग्रह किया है कि वे पिछले पांच साल की परंपरा को तोड़ते हुए PM मोदी को आमंत्रित न करें। इसके अतिरिक्त, सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी इस निर्णय में महत्वपूर्ण कारक हैं।
वर्तमान राजनयिक माहौल में, दोनों देशों के बीच कोई औपचारिक संवाद नहीं हो रहा है, जिससे यह स्थिति और भी जटिल हो गई है। यह असामान्य स्थिति है क्योंकि सामान्यतः G7 शिखर सम्मेलन में प्रमुख लोकतांत्रिक देशों के नेताओं को आमंत्रित किया जाता है।
भारत की विदेश नीति पर प्रभाव
इस घटना का भारत की बहुपक्षीय कूटनीति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। G7 जैसे मंचों से अनुपस्थिति भारत की वैश्विक स्थिति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि 2024 के G7 शिखर सम्मेलन में PM Modi और PM ट्रूडो की संक्षिप्त मुलाकात हुई थी, जो राजनयिक संकट के कम होने का संकेत देती थी।
भारत के लिए यह एक कठिन निर्णय है, क्योंकि G7 मंच पर देश की उपस्थिति न केवल आर्थिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने का भी अवसर प्रदान करती है।
भविष्य की संभावनाएं
इस स्थिति का समाधान दोनों देशों के बीच संवाद की बहाली पर निर्भर करता है। राजनयिक चैनलों के माध्यम से मतभेदों को सुलझाना दोनों देशों के हित में है, विशेषकर व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों को देखते हुए।
वर्तमान परिस्थितियों में, भारत सरकार को वैकल्पिक राजनयिक मंचों के माध्यम से अपनी विदेश नीति के उद्देश्यों को आगे बढ़ाना होगा। साथ ही, कनाडा के साथ संबंधों की पुनर्स्थापना के लिए दोनों पक्षों को सकारात्मक पहल करनी होगी।
यह घटना अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में राजनयिक संबंधों की नाजुकता को दर्शाती है और यह दिखाती है कि कैसे द्विपक्षीय विवाद बहुपक्षीय मंचों को भी प्रभावित कर सकते हैं।