Russia Offers Su-57 to India
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Russia Offers Su-57 to India : भारत के लिए स्वर्ण अवसर

Russia Offers Su-57 to India : एक रणनीतिक प्रस्ताव

रूस ने हाल ही में भारत को अपने अत्याधुनिक पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट, Su-57, की पेशकश की है, जो भारत की वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रस्ताव केवल विमानों की आपूर्ति तक सीमित नहीं है; इसमें संयुक्त उत्पादन और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण शामिल है, जो भारत के “मेक इन इंडिया” पहल के लिए एक गेम-चेंजर हो सकता है। रॉयटर्स के अनुसार, रूस ने यह पेशकश एयरो इंडिया 2025 में की, जहां Su-57 ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया।

Su-57 क्या है?

Su-57, जिसे सुखोई द्वारा विकसित किया गया है, एक स्टेल्थ मल्टीरोल लड़ाकू विमान है जो वायु श्रेष्ठता और स्ट्राइक मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह Mach 2 की शीर्ष गति, उन्नत एवियोनिक्स, और रडार से बचने की स्टेल्थ तकनीक से लैस है। यह विभिन्न हथियारों को आंतरिक और बाहरी हार्डपॉइंट्स पर ले जा सकता है, जिसमें हाइपरसोनिक मिसाइलें और 30mm तोप शामिल हैं। विकिपीडिया – सुखोई Su-57 के अनुसार, यह विमान रूस की वायु सेना के लिए 2019 से उत्पादन में है, और 2028 तक 20 विमानों की वार्षिक उत्पादन क्षमता की योजना है। रूसी टेस्ट पायलट सर्गेई बोगदान ने दावा किया है कि Su-57 “सभी मौजूदा समकक्षों को पार करता है,” जिसमें चीन का J-35 भी शामिल है।

Su-57 बनाम F-35: लागत और क्षमताओं की तुलना

Su-57 और F-35 दोनों पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ जेट्स हैं, लेकिन उनकी ताकत और लागत में अंतर है। F-35, जिसे लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है, 1,000 से अधिक इकाइयों के साथ व्यापक रूप से तैनात है और इसकी कीमत लगभग $80 मिलियन प्रति इकाई है। इंडियन डिफेंस रिसर्च विंग के अनुसार, Su-57 की लागत $35-65 मिलियन के बीच हो सकती है, खासकर यदि भारत में इसका उत्पादन किया जाए। Su-57 गति और चपलता पर जोर देता है, जबकि F-35 उन्नत स्टेल्थ और सेंसर क्षमताओं के लिए जाना जाता है।

रूस की पेशकश में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के नासिक संयंत्र में संयुक्त उत्पादन शामिल है, जो Su-30MKI के उत्पादन में अनुभवी है। इंडियन डिफेंस रिसर्च विंग के एक रोस्टेक अधिकारी ने कहा, “Su-57E भारत की स्वदेशी तकनीकों को युद्ध के लिए तैयार करने का मंच हो सकता है।” इसके विपरीत, अमेरिका F-35 के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर सख्त प्रतिबंध लगाता है, जो भारत की “मेक इन इंडिया” पहल को सीमित कर सकता है।

तुलना तालिका:

विशेषता

Su-57

F-35

लागत

$35-65 मिलियन (अनुमानित)

$80 मिलियन (लगभग)

उत्पादन

~42 इकाइयां (2025 तक)

1,000+ इकाइयां

गति

Mach 2

Mach 1.6

प्रौद्योगिकी हस्तांतरण

हां, संयुक्त उत्पादन के साथ

सीमित, अमेरिकी समर्थन पर निर्भर

प्रमुख ताकत

गति, चपलता, लागत-प्रभावी

उन्नत स्टेल्थ, सेंसर, वैश्विक उपयोग

भारत की रक्षा आवश्यकताएं: क्षेत्रीय खतरे

भारत को चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरों का सामना है। चीन ने अपने J-20 स्टेल्थ जेट्स तैनात किए हैं और 2026 तक पाकिस्तान को J-35A की आपूर्ति करने की योजना बना रहा है। डिफेंस सिक्योरिटी एशिया के अनुसार, यह कदम दक्षिण एशिया में हवाई शक्ति संतुलन को बदल सकता है।भारत के लिए पांचवीं पीढ़ी के जेट्स की तत्काल आवश्यकता स्पष्ट हो गई है ।

भारत-रूस रक्षा संबंधों का इतिहास

रूस दशकों से भारत का प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में भारत ने अपने स्रोतों में विविधता लाई है। SIPRI के अनुसार, 2009 में भारत के हथियार आयात में रूस की हिस्सेदारी 76% थी, जो 2024 तक 36% तक कम हो गई। भारत अब फ्रांस, अमेरिका और इज़राइल से अधिक आयात करता है। फिर भी, Su-57 की पेशकश इस साझेदारी को पुनर्जनन दे सकती है। रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने इसे “अत्यंत अनुकूल सौदा” बताया।

प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सह-उत्पादन

रूस की पेशकश का सबसे आकर्षक पहलू प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सह-उत्पादन है। यह भारत को Su-57 को घरेलू स्तर पर निर्मित करने, विशेषज्ञता प्राप्त करने और विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम करने में सक्षम बनाएगा। यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन के सीईओ वादिम बदेखा ने कहा, “भारत हमारा लंबे समय से रणनीतिक साझेदार है, और हम विमानन उपकरणों की नई पीढ़ियों के विकास में सहयोग जारी रखने को तैयार हैं।”

चुनौतियां और चिंताएं

रूस की यूक्रेन युद्ध के कारण डिलीवरी में देरी की चिंताएं हैं। उदाहरण के लिए, S-400 वायु रक्षा प्रणाली की डिलीवरी में देरी हुई, हालांकि हाल के बयानों से पता चलता है कि शेष इकाइयां 2025 तक पहुंच जाएंगी। न्यू इंडियन एक्सप्रेस दूसरी ओर, F-35 की अमेरिकी समर्थन पर निर्भरता, विशेष रूप से इसकी लॉजिस्टिक्स और सॉफ्टवेयर अपडेट्स, भारत की परिचालन स्वायत्तता को सीमित कर सकती है। द एविएशनिस्ट ने स्पष्ट किया कि F-35 में कोई “किल स्विच” नहीं है, लेकिन इसकी रखरखाव और समर्थन पर अमेरिकी नियंत्रण चिंता का विषय है।

भारत का AMCA प्रोजेक्ट

भारत अपना पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू जेट, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA), विकसित कर रहा है, जिसका पहला प्रोटोटाइप 2028-29 तक और 2035 तक शामिल करने की योजना है। Su-57 इस अंतर को भरने के लिए एक अंतरिम समाधान हो सकता है, जिससे भारत को क्षेत्रीय खतरों का सामना करने के लिए तत्काल क्षमता मिले।

विशेषज्ञों की राय

कुछ भारतीय रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि F-35 उन्नत प्रौद्योगिकी प्रदान करता है, लेकिन Su-57 का प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भारत के दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता लक्ष्यों के लिए अधिक उपयुक्त है। मनीकंट्रोल के अनुसार, विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि भारत निकट भविष्य में अधिक राफेल या तेजस मार्क 1A पर ध्यान दे सकता है, लेकिन क्षेत्रीय खतरों के कारण Su-57 एक आकर्षक विकल्प है।

भारत अपनी रक्षा खरीद रणनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। Su-57 और F-35 के बीच का निर्णय भारत की सैन्य क्षमताओं और औद्योगिक विकास पर गहरा प्रभाव डालेगा। रूस की पेशकश लागत-प्रभावी, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सह-उत्पादन के साथ भारत की आत्मनिर्भरता की आकांक्षाओं के अनुरूप है। हालांकि, रूस की डिलीवरी विश्वसनीयता और F-35 की अमेरिकी निर्भरता को सावधानीपूर्वक विचार करना होगा। भारत को तत्काल सुरक्षा आवश्यकताओं और दीर्घकालिक रणनीतिक लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाना होगा ताकि उसकी वायु सेना क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम रहे।


Sources: IDRW , Economic times , Reuters , hindustantimes.com ,

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