रूस-यूक्रेन युद्ध: पुतिन ने प्रस्तावित की शांति वार्ता
11 मई 2025 को, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ सीधी शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा, जिसका उद्देश्य तीन साल से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करना है। यह प्रस्ताव मॉस्को के क्रेमलिन से एक टेलीविजन बयान में दिया गया, जिसमें पुतिन ने तुर्की के इस्तांबुल में 15 मई को बिना किसी शर्त के वार्ता शुरू करने की बात कही। इस कदम को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने सकारात्मक संकेत बताया, लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि मॉस्को को पहले युद्धविराम पर सहमत होना होगा।
पुतिन का प्रस्ताव
पुतिन ने अपने बयान में कहा, “हम कीव प्रशासन से बिना किसी शर्त के सीधी बातचीत शुरू करने का प्रस्ताव रखते हैं। हम गुरुवार को इस्तांबुल में बातचीत शुरू करने के लिए तैयार हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि वार्ता का लक्ष्य “स्थायी शांति” स्थापित करना है। पुतिन ने यह भी स्पष्ट किया कि वह तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोआन के साथ इस वार्ता को सुगम बनाने के लिए चर्चा करेंगे।
हालांकि, पुतिन ने यूरोपीय शक्तियों द्वारा युद्धविराम की मांग को “अल्टीमेटम” करार देते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि रूस पहले भी कई बार युद्धविराम का प्रस्ताव दे चुका है, जिसमें ऊर्जा सुविधाओं पर हमले रोकने, ईस्टर युद्धविराम, और हाल ही में द्वितीय विश्व युद्ध की जीत की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर 72 घंटे का युद्धविराम शामिल है।
ज़ेलेंस्की की प्रतिक्रिया
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “यह एक सकारात्मक संकेत है कि रूसियों ने आखिरकार युद्ध को समाप्त करने पर विचार शुरू किया है।” हालांकि, उन्होंने जोर दिया कि “किसी भी युद्ध को वास्तव में समाप्त करने का पहला कदम युद्धविराम है।” ज़ेलेंस्की ने मांग की कि रूस 12 मई से “पूर्ण, स्थायी और विश्वसनीय” युद्धविराम की पुष्टि करे, जिसके बाद यूक्रेन वार्ता के लिए तैयार है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प: ट्रम्प ने इस घटनाक्रम को “रूस और यूक्रेन के लिए संभावित रूप से एक महान दिन” बताया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर कहा, “इस अंतहीन ‘रक्तपात’ के समाप्त होने से सैकड़ों हजारों जिंदगियां बच सकती हैं।”
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फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन: मैक्रॉन ने पुतिन के प्रस्ताव को एक शुरुआती कदम बताया, लेकिन इसे अपर्याप्त करार दिया। उन्होंने कहा, “बिना शर्त युद्धविराम के लिए पहले बातचीत की जरूरत नहीं होती।”
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यूरोपीय शक्तियाँ: प्रमुख यूरोपीय देशों ने शनिवार को कीव में पुतिन से 30 दिनों के बिना शर्त युद्धविराम की मांग की थी, अन्यथा “बड़े पैमाने पर” नए प्रतिबंधों की चेतावनी दी थी।
युद्ध का पृष्ठभूमि
रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला शुरू किया था, जिसके बाद से यह युद्ध सैकड़ों हजारों सैनिकों की जान ले चुका है। इसने रूस और पश्चिम के बीच 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट के बाद सबसे गंभीर टकराव को जन्म दिया है। रूसी सेनाएँ धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हैं और वर्तमान में यूक्रेन के लगभग एक-पांचवें हिस्से पर नियंत्रण रखती हैं।
पुतिन ने युद्ध को पश्चिम के साथ रूस के संबंधों में एक “निर्णायक क्षण” बताया है। उनका दावा है कि सोवियत संघ के पतन के बाद पश्चिम ने नाटो का विस्तार करके और यूक्रेन को अपने प्रभाव क्षेत्र में शामिल करके रूस का अपमान किया। दूसरी ओर, यूक्रेन और पश्चिमी देश इस आक्रमण को “साम्राज्यवादी भूमि हड़पने” की कोशिश मानते हैं।
चुनौतियाँ और शर्तें
पुतिन ने वार्ता के लिए कुछ शर्तें रखी हैं, जिनमें शामिल हैं:
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यूक्रेन को अपनी नाटो सदस्यता की महत्वाकांक्षा को आधिकारिक रूप से छोड़ना होगा।
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यूक्रेन को रूस द्वारा दावा किए गए चार क्षेत्रों से अपनी सेना वापस बुलानी होगी।
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2022 में रूस और यूक्रेन के बीच हुए मसौदा समझौते को आधार बनाया जा सकता है, जिसमें यूक्रेन को स्थायी तटस्थता स्वीकार करने और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों से सुरक्षा गारंटी लेने की बात थी।
हालांकि, रविवार को रूस ने कीव और यूक्रेन के अन्य हिस्सों पर ड्रोन हमले किए, जिसमें एक व्यक्ति घायल हुआ और कई निजी घर क्षतिग्रस्त हुए। यूक्रेन ने रूस पर मई के युद्धविराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया, जबकि पुतिन ने दावा किया कि यूक्रेन ने मई में 524 हवाई ड्रोन, 45 समुद्री ड्रोन और कई पश्चिमी मिसाइलों से रूस पर हमला किया था।
पुतिन का शांति वार्ता का प्रस्ताव रूस-यूक्रेन युद्ध में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, लेकिन युद्धविराम को लेकर दोनों पक्षों के बीच मतभेद बने हुए हैं। ज़ेलेंस्की की युद्धविराम की मांग और पुतिन की बिना शर्त वार्ता की पेशकश के बीच संतुलन बनाना आसान नहीं होगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से तुर्की, इस प्रक्रिया में मध्यस्थता की भूमिका निभा सकता है। यह देखना बाकी है कि क्या यह प्रस्ताव स्थायी शांति की दिशा में एक ठोस कदम साबित होगा या केवल एक राजनयिक कवायद बनकर रह जाएगा।