अमेरिका की अर्थव्यवस्था में आश्चर्यजनक गिरावट: ट्रम्प की नीतियों का असर?
नमस्ते दोस्तों! आज हम एक ऐसी खबर पर बात करेंगे जो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, यानी अमेरिका, से जुड़ी है। इस साल की पहली तिमाही में अमेरिका की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में अप्रत्याशित रूप से 0.3% की कमी आई है। यह खबर इसलिए भी चौंकाने वाली है क्योंकि पिछले साल 2024 की आखिरी तिमाही में अर्थव्यवस्था 2.4% की दर से बढ़ रही थी। आइए, इस खबर को और करीब से समझते हैं और जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण हैं।
क्या हुआ अमेरिका की अर्थव्यवस्था के साथ?
अमेरिका के वाणिज्य विभाग के अनुसार, इस साल जनवरी से मार्च तक की तिमाही में जीडीपी में 0.3% की कमी दर्ज की गई। यह अनुमान बाजार की उम्मीदों से काफी कम था, क्योंकि विशेषज्ञों ने 0.4% की वृद्धि की भविष्यवाणी की थी। इस गिरावट के पीछे कई कारण बताए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:
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आयात में वृद्धि: आयात में बढ़ोतरी ने जीडीपी पर नकारात्मक असर डाला।
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उपभोक्ता खर्च में कमी: लोग पहले की तुलना में कम खर्च कर रहे हैं।
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सरकारी खर्च में गिरावट: सरकार ने भी अपने खर्चों में कटौती की है।
यह आंकड़े राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 20 जनवरी 2025 को दोबारा कार्यभार संभालने के 101वें दिन जारी किए गए। उनकी नीतियों, खासकर टैरिफ (आयात शुल्क) को लेकर असंगत रवैये को इस गिरावट का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।
ट्रम्प की नीतियों का कितना असर?
जब ट्रम्प ने जो बाइडन प्रशासन से सत्ता संभाली, तो उन्हें एक मजबूत अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी। यह अर्थव्यवस्था ऊंची ब्याज दरों के बावजूद स्थिर रूप से बढ़ रही थी, जो फेडरल रिजर्व ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए लागू की थीं। लेकिन ट्रम्प की व्यापार नीतियों, खासकर टैरिफ (प्रशुल्क) को लागू करने और फिर उन्हें वापस लेने या रोकने के अनिश्चित दृष्टिकोण ने कारोबारियों को परेशानी में डाल दिया।
इन टैरिफ्स (प्रशुल्क) की वजह से:
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मूल्य वृद्धि का खतरा: आयातित सामान महंगा होने से उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ सकता है।
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वित्तीय बाजारों में अस्थिरता: टैरिफ (प्रशुल्क) की घोषणाओं ने शेयर बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव पैदा किया, जो कोविड-19 महामारी के बाद से सबसे ज्यादा था।
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निवेशकों में डर: अनिश्चितता के कारण निवेशक सतर्क हो गए।
कुछ सकारात्मक पहलू भी!
हालांकि अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में अच्छी खबरें भी हैं।
कारोबारी निवेश में उछाल
कंपनियों ने उपकरणों में भारी निवेश किया है, जिसके परिणामस्वरूप कारोबारी निवेश 21.9% की दर से बढ़ा है। यह एक मजबूत संकेत है कि व्यवसाय भविष्य के लिए आशावादी हैं।
अर्थव्यवस्था की अंतर्निहित ताकत
जीडीपी डेटा में अर्थव्यवस्था की बुनियादी ताकत को दर्शाने वाला एक माप 3% की स्वस्थ वार्षिक दर से बढ़ा है, जो 2024 की चौथी तिमाही में 2.9% था। यह माप उपभोक्ता खर्च और निजी निवेश को ध्यान में रखता है, जबकि अस्थिर कारकों जैसे निर्यात, इन्वेंट्री, और सरकारी खर्च को बाहर रखता है।
यह सब हमारे लिए क्यों मायने रखता है?
अमेरिका की अर्थव्यवस्था का दुनिया भर पर असर पड़ता है। अगर वहां की अर्थव्यवस्था कमजोर होती है, तो यह वैश्विक व्यापार, निवेश, और यहां तक कि भारत जैसे देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रभावित कर सकता है। ट्रम्प की नीतियों का यह शुरुआती असर हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि भविष्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था का क्या हाल होगा।
यह खबर निश्चित रूप से हमें वैश्विक अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ाव के बारे में और जागरूक करती है। क्या आपको लगता है कि ट्रम्प की नीतियां अमेरिका को फिर से मजबूत कर पाएंगी, या यह गिरावट और गहरी होगी? हमें कमेंट में जरूर बताएं!