विराट कोहली का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास: ” मुश्किल था, मगर दिल कहता है – यही सही है”
भारतीय क्रिकेट के चमकते सितारे विराट कोहली ने सोमवार को अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा करके सबको चौंका दिया। कोहली ने अपने इंस्टाग्राम पर एक भावुक पोस्ट में लिखा:
“ईमानदारी से कहूं तो, मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह फॉर्मेट मुझे कहां तक ले जाएगा। इसने मुझे परखा, मुझे तराशा और ऐसे जीवन पाठ दिए जिन्हें मैं हमेशा अपने साथ रखूंगा।”
इस पोस्ट का अंत उन्होंने “#269, signing off” लिखकर किया — जो उनके टेस्ट कैप नंबर को दर्शाता है। सिर्फ एक वाक्य, लेकिन भावनाओं का समंदर छुपा था उसमें।
यह फैसला ऐसे समय पर आया जब भारत इंग्लैंड के खिलाफ 5 टेस्ट की सीरीज़ की तैयारी कर रहा है। कोहली का अचानक यह कदम कई सवालों और भावनाओं को जन्म दे गया।

14 साल की टेस्ट यात्रा
2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू करने वाले कोहली ने जब पहली बार टेस्ट कैप पहनी थी, तब शायद उन्होंने खुद भी नहीं सोचा था कि एक दिन इस सफर में 123 मैच, 210 पारियां और 9230 रन जोड़ देंगे। इस सफर में न सिर्फ रनों की गिनती जुड़ी, बल्कि एक युवा खिलाड़ी से एक लीजेंड बनने की दास्तान भी लिखी गई।
कोहली का औसत 46.85 रहा, और वे भारत के चौथे सबसे सफल टेस्ट बल्लेबाज़ बने — उनके आगे केवल तीन दिग्गज हैं: सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और सुनील गावस्कर।
हर रन के पीछे एक कहानी थी — संघर्ष की, मेहनत की, और जुनून की। कई बार उन्होंने भारत को नामुमकिन लग रही परिस्थितियों से जीत दिलाई, तो कभी खुद को झोंक कर भी टीम को उबारने की कोशिश की।
कोहली का स्वर्णिम दशक (2010-2019)
अगर आप क्रिकेट के दीवाने हैं, तो 2010 से 2019 का दशक कोहली के नाम रहा। इस दौर में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 7202 रन बनाए, 27 शतक जड़े और उनका औसत रहा शानदार 54.97। यह वो समय था जब विपक्षी गेंदबाज़ कोहली से डरते थे, और दर्शक उनकी बल्लेबाज़ी के कायल थे।
कोहली की सबसे खास बात थी उनकी कंसिस्टेंसी ( निरंतरता ) — चाहे वो एडिलेड की गर्मी हो या लॉर्ड्स की स्विंग, उन्होंने हर पिच पर खुद को साबित किया। उनकी तकनीक, फिटनेस और मानसिक मज़बूती ने उन्हें दशक का सबसे खतरनाक टेस्ट बल्लेबाज़ बना दिया।
कप्तान कोहली – रिकॉर्ड्स के शिखर पर
2014 में एमएस धोनी के टेस्ट से रिटायर होते ही विराट ने कप्तानी की बागडोर संभाली। शुरुआत में लोगों को संदेह था, लेकिन उन्होंने साबित किया कि वे सिर्फ बेहतरीन बल्लेबाज़ ही नहीं, एक शानदार लीडर भी हैं।
68 टेस्ट में कप्तानी करते हुए 40 जीत दर्ज करवा कर वे भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान बन गए। उनके आक्रामक रुख, फिटनेस कल्चर और युवाओं को मौके देने की सोच ने भारतीय टीम की मानसिकता को ही बदल दिया।
बतौर कप्तान उन्होंने खुद भी जबरदस्त प्रदर्शन किया — 5864 रन, 20 शतक, और कई बार टीम को बैकफुट से खींच कर फ्रंटफुट पर लाना।
कोहली के नेतृत्व में भारत ने विदेशों में जीतना शुरू किया — ऑस्ट्रेलिया को उसकी ज़मीन पर हराना, साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड में कड़ी टक्कर देना, ये सब उनकी कप्तानी की पहचान बन गई।
महामारी के बाद का संघर्ष
2020 के बाद से कोहली के बल्ले से रन कम निकलने लगे। 68 पारियों में सिर्फ 2028 रन, और औसत गिरकर 30.72 तक आ गया जो इस अवधि में 2000(+) रन बनाने वाले सभी बल्लेबाज़ों में सबसे कम रहा।
2024 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी की शुरुआत उन्होंने शतक से की थी, लेकिन फिर ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों पर बार-बार आउट होना उनकी कमजोरी बन गया। आठ में से सात बार उसी तरीके से आउट होना उनकी मानसिक थकावट का संकेत था।
खुद विराट ने कहा: “पहले टेस्ट में अच्छा स्कोर किया तो सोचा अब बड़ी सीरीज़ होगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर खुद से पूछा -अब मुझे कहां जाना है? मेरी ऊर्जा का स्तर क्या कहता है?”
ईमानदारी और आत्ममंथन
कोहली का सबसे बड़ा गुण रहा है “ईमानदारी से खुद को देख पाना” । उन्होंने हमेशा अपने प्रदर्शन की आलोचना को खुले दिल से स्वीकार किया। उनका मानना था कि सफलता और असफलता दोनों से सीख मिलती है।
संन्यास के इस फैसले में भी वही ईमानदारी झलकती है। उन्होंने कोई नाटक नहीं किया, कोई लंबा फेयरवेल मैच नहीं माँगा – बस एक साधारण पोस्ट में अलविदा कह दिया।
वो खिलाड़ी जो मैदान पर आक्रामक था, असल में आत्ममंथन और संयम का धनी इंसान निकला।
क्रिकेट से बढ़कर विरासत
कोहली की विरासत सिर्फ उनके रिकॉर्ड्स में नहीं, बल्कि उनकी सोच और प्रेरणा में है। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट को “कूल” बना दिया। युवाओं को लाल गेंद की अहमियत समझाई। फिटनेस, व्यावसायिकता ( प्रोफेशनलिज्म) और व्यक्तिगत ब्रांडिंग के जो मानक उन्होंने सेट किए हैं, वे आने वाले खिलाड़ियों के लिए मार्गदर्शक बन चुके हैं।
उन्होंने भारतीय क्रिकेट को सिर्फ आगे नहीं बढ़ाया, बल्कि उसका स्तर ही बदल डाला।
“269, साइनिंग ऑफ” लेकिन कहानी अभी बाकी है
टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने के बावजूद विराट कोहली की क्रिकेट यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है। वो वनडे में अब भी भारत के लिए खेलते रहेंगे। 2027 के वनडे वर्ल्ड कप में उनसे उम्मीदें अब भी बंधी हैं।
टेस्ट क्रिकेट में उनका नाम हमेशा महान खिलाड़ियों की सूची में लिया जाएगा।
धन्यवाद, विराट…
आपने हमें न केवल क्रिकेट से प्यार करवाया, बल्कि खुद को बेहतर बनाने की प्रेरणा दी। आपकी हर कवर ड्राइव, हर स्लेजिंग का जवाब, हर शतक हमारे दिलों में बस गया है।
विराट, टेस्ट क्रिकेट आपका हमेशा ऋणी रहेगा।
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