देखें ऑपरेशन सिंदूर – वास्तव में क्या और कैसे हुआ
6 मई, 2025 की देर रात, भारतीय सशस्त्र बलों ने एक साहसिक और निर्णायक सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया। यह ऑपरेशन पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने के लिए शुरू किया गया था, जहां से भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाई और संचालित की जाती थी। इस ब्लॉग पोस्ट में हम इस ऑपरेशन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं, तथ्यों और इसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य
ऑपरेशन सिंदूर का मुख्य उद्देश्य उन आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करना था, जो भारत के खिलाफ हमलों के लिए जिम्मेदार थे। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह कार्रवाई अत्यंत विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर की गई थी। इसका लक्ष्य था कि नागरिकों को कोई नुकसान न पहुंचे और केवल आतंकवादी ढांचे को ही निशाना बनाया जाए।
महत्वपूर्ण तथ्य: ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों के बेस कैंप्स को निशाना बनाया गया।
कहां-कहां हुई कार्रवाई?

ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और PoK में कुल नौ आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया गया। ये ठिकाने निम्नलिखित स्थानों पर थे:
-
सवाई नाला शिविर, मुजफ्फराबाद (पीओजेके) – यह स्थान नियंत्रण रेखा से मात्र 30 किमी दूर स्थित है और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का प्रशिक्षण केंद्र था। सोनमर्ग हमले (20 अक्टूबर, 2024), गुलमर्ग हमले (24 अक्टूबर, 2024) और पहलगाम हमले (22 अप्रैल, 2025) में शामिल आतंकवादी यहीं प्रशिक्षित हुए थे।
-
सैयदना बिलाल शिविर, मुजफ्फराबाद (पीओजेके) – यह जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी लॉन्चपैड है, जहां आतंकवादियों को हथियार, विस्फोटक और जंगल में जीवित रहने की तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाता था।
-
गुलपुर शिविर, कोटली (पीओजेके) – नियंत्रण रेखा से लगभग 30 किमी दूर स्थित, यह लश्कर-ए-तैयबा का आधार था। यहां से सक्रिय आतंकवादी जम्मू और कश्मीर के राजौरी और पुंछ जिलों में कार्यरत थे। इन्होंने 20 अप्रैल, 2023 को पुंछ हमले और तीर्थयात्रियों पर हमले की जिम्मेदारी ली, जिसमें आतंकवादियों ने एक बस पर गोलीबारी की, जिससे वह खाई में गिर गई और 9 लोग मारे गए।
-
बरनाला शिविर,भीमबेर (पीओजेके) – नियंत्रण रेखा से 9 किमी दूर स्थित, इस स्थल का उपयोग आतंकवादियों को हथियार, तात्कालिक/ इम्प्रोवाइज्ड विस्फोटक उपकरण (आई ई डी) और जंगल में जीवित रहने के कौशल सिखाने के लिए किया जाता था।
-
अब्बास शिविर, कोटली (पीओजेके) – नियंत्रण रेखा से लगभग 13 किमी दूर स्थित, इस सुविधा का उपयोग लश्कर-ए-तैयबा के फिदायीन को प्रशिक्षित करने और तैयार करने के लिए किया जाता था। यह एक समय में 15 आतंकवादियों को समायोजित और प्रशिक्षित करने की क्षमता रखता था।
-
सरजाल शिविर, सियालकोट (पाकिस्तान) – अंतरराष्ट्रीय सीमा से मात्र 6 किमी दूर स्थित, इस स्थल का उपयोग मार्च में जम्मू और कश्मीर के चार पुलिसकर्मियों की हत्या के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों को प्रशिक्षित करने के लिए किया गया था।
-
मेहमूना जोया शिविर, सियालकोट (पाकिस्तान) – यह हिजबुल मुजाहिदीन का सबसे बड़ा शिविर था, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 12 किमी दूर स्थित था। यहां प्रशिक्षित आतंकवादी जम्मू के कठुआ में हमले करने के लिए भेजे गए थे। 2016 के पठानकोट हमले, जिसमें आठ सैनिक मारे गए थे, की योजना इस जगह पर बनाई गई थी।
-
मरकज तैयबा, मुरिदके (पाकिस्तान) – लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रमुख आतंकी शिविर, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से 18-25 किमी दूर स्थित है। 26/11 के हमलावर अजमल कसाब और प्रमुख साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली दोनों यहीं प्रशिक्षित हुए थे।
-
मरकज सुब्हानअल्लाह, भावलपुर (पाकिस्तान) – अंतरराष्ट्रीय सीमा से 100 किमी दूर स्थित, यह जैश-ए-मोहम्मद का एक प्रमुख गढ़ था। यह शिविर प्रशिक्षण, विचारधारा और भर्ती के लिए समूह का मुख्यालय था और शीर्ष आतंकी नेताओं के लिए मिलन स्थल के रूप में कार्य करता था।
ऑपरेशन का विवरण
ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय वायुसेना और सेना ने मिलकर अंजाम दिया। इस कार्रवाई में अत्याधुनिक हथियारों जैसे SCALP (स्टॉर्म शैडो) क्रूज मिसाइलों और हैमर स्मार्ट बमों का इस्तेमाल किया गया। ये हथियार भारतीय वायुसेना के राफेल लड़ाकू विमानों से लैस थे। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह ऑपरेशन 1:05 बजे से 1:30 बजे के बीच पूरा हुआ। इसमें 80 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिनमें भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादी रऊफ असगर और जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के परिवार के 14 सदस्य शामिल थे।
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह का बयान: “हमने अत्यंत सटीकता के साथ कार्रवाई की, जिससे कोई भी नागरिक हताहत न हो। यह ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपने अधिकार का प्रयोग किया है और यह कार्रवाई “मापी, गैर-बढ़ाई, समानुपातिक और जिम्मेदार” थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस कार्रवाई का ध्यान केवल आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने और उन आतंकवादियों को अक्षम करने पर था, जो भारत में घुसपैठ करने वाले थे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “हमने केवल उन लोगों को मारा जिन्होंने हमारे निर्दोष लोगों को मारा।”
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद व्यापक नुकसान की पुष्टि की। उनके अनुसार, इस कार्रवाई ने उनके आतंकवादी ढांचे को भारी क्षति पहुंचाई। पाकिस्तानी मीडिया ने इसे “आतंकिस्तान में तबाही” के रूप में वर्णित किया। हालांकि, पाकिस्तान ने इस कार्रवाई को लेकर भारत के खिलाफ राजनयिक विरोध दर्ज करने की कोशिश की, लेकिन वैश्विक समुदाय ने भारत की आतंकवाद विरोधी कार्रवाई का समर्थन किया।
ऑपरेशन का प्रभाव
ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल आतंकवादी संगठनों को गहरा झटका दिया, बल्कि भारत की सैन्य ताकत और खुफिया क्षमताओं को भी दुनिया के सामने प्रदर्शित किया। इस कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अपनी सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। साथ ही, यह ऑपरेशन पहलगाम हमले का जवाब था, जिसने भारत में आतंकवाद के खिलाफ जनता के गुस्से को और बढ़ा दिया था। ऑपरेशन के बाद, उत्तरी भारत के कई हवाई अड्डों, जैसे धर्मशाला, लेह, जम्मू, श्रीनगर और अमृतसर, को बंद कर दिया गया, और स्पाइसजेट जैसी एयरलाइंस ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए उड़ानें रद्द कर दीं।
ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का एक जीता-जागता उदाहरण है। इस कार्रवाई ने न केवल आतंकवादी ढांचे को ध्वस्त किया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि भारत अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। यह ऑपरेशन भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत, साहस और समर्पण का प्रतीक है। हालांकि, इस कार्रवाई ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को बढ़ा दिया है, और दोनों देशों के बीच स्थिति नाजुक बनी हुई है।
हम अपने पाठकों से अनुरोध करते हैं कि वे इस ऑपरेशन के बारे में अपनी राय कमेंट सेक्शन में साझा करें।
देखें – पाकिस्तान के नागरिकों की आँखों देखि :
One Comment